पहली बार स्वेदश निर्मित क्रायोजेनिक इंजन से बने जीएसएलवी डी-3 रॉकेट का मिशन गुरुवार को विफल हो गया क्योंकि संचार उपग्रह को साथ ले जा रहा यह रॉकेट अंतरिक्ष केंद्र से अपने प्रक्षेपण के तुरंत बाद पथ से भटक गया और नियंत्रण से बाहर हो गया.
इसरो अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने कहा, ‘मिशन का मकसद पूरा नहीं हुआ है. इस तरह के संकेत हैं कि क्रायोजेनिक इंजन चालू हुआ लेकिन यान में कंपन होने लगा और उसने नियंत्रित रहने की क्षमता खो दी.’ 49 मीटर उंचे त्रिस्तरीय जियो सिंक्रोनस लांच व्हेकिल का 29 घंटे चली उल्टी गिनती के बाद अपराह्न चार बजकर 27 मिनट पर प्रक्षेपण हुआ लेकिन कुछ ही मिनट बाद इसरो ने कहा कि उसे डाटा मिलना बंद हो गया है.
इसरो प्रमुख बनने के बाद राधाकृष्णन का यह पहला मिशन था. उन्होंने कहा कि हमने यान को अनियंत्रित होकर हिलते देखा और वह भटकने लगा. दो वर्नियर इंजन चालू नहीं हुए होंगे. इसके बाद सतीश धवन अंतरिक्ष क्षेत्र में इस मिशन में काम कर रहे वैज्ञानिकों में निराशा छा गयी. राधाकृष्णन ने कहा कि प्रक्षेपण की जानकारी के विवरण का विश्लेषण किया जायेगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि चूक कहां हुई.
राधाकृष्णन ने कहा कि दूसरा चरण पूरा होने तक यान का प्रदर्शन सामान्य था. अहम क्रायोजेनिक चरण के दौरान रॉकेट में लगे कम्प्यूटर ने ये संकेत भेजे कि दहन हुआ और क्रायोजेनिक इंजन चालू हुआ है. बहरहाल, यान में कंपन देखा गया. राधाकृष्णन ने जटिल क्रायोजेनिक तकनीक विकसित करने के मकसद से ‘18 वर्ष की कड़ी मेहनत’ के लिये वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा, ‘हमें लंबी दूरी तय करना है और इसे एक वर्ष के भीतर करना है. इस मिशन को सफल बनाना है.’
क्रायोजेनिक चरण के रॉकेट कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की इसरो की प्रतिबद्धता रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि अगला प्रक्षेपण एक वर्ष के भीतर किया जायेगा. इसरो प्रमुख ने कहा, ‘यह जटिल प्रौद्योगिकी पर 18 वर्ष काम करने का नतीजा था. यान को ले जाना ही बड़ी उपलब्धि है.’ जीएसएलवी रॉकेट को 2,200 किलोग्राम वजनी आधुनिक जीसैट-4 संचार उपग्रह को ‘जियो ट्रांसफर ऑर्बिट’ में स्थापित करना था.
जीसैट-4 अत्याधुनिक उपग्रह है जो संचार और मार्ग निर्देशन से जुड़े ‘पेलोड’ को अपने साथ अंतरिक्ष ले जाता है. इसरो ने इस प्रतिष्ठित मिशन के लिये 330 करोड़ रुपये का निवेश किया था. अगर यह मिशन सफल हो जाता तो भारत अमेरिका, रूस, चीन, जापान और कुछ यूरोपीय देशों की पंक्ति में आ जाता जिनके पास क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी है.