भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान, जीएसएलवी-डी5 प्रक्षेपण के लिए तैयार है. रविवार शाम 4.18 बजे श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से यान के प्रक्षेपण को लेकर सारी तैयारी पूरी कर ली गई है. वैज्ञानिकों का दावा है कि इसकी सफलता से देश की संचार सेवा को नई मजबूती मिलेगी.
इसके लॉन्च के लिए शनिवार को 29 घंटे की उल्टी गिनती सुबह 11.18 पर शुरू हो गई थी. यह यान कक्षा संचार उपग्रह जीसैट-14 को लेकर जाएगा. 356 करोड़ रुपए की लागत वाले इस मिशन के दो उद्देश्य हैं. पहला इसरो द्वारा निर्मित क्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण और दूसरा संचार उपग्रह को कक्षा में स्थापित करना.
गौरतलब है कि इसरो पिछले साल अगस्त में भी इस यान का प्रक्षेपण करना चाहता था, लेकिन दूसरे चरण में इंजन से ईंधन के रिसाव की वजह से इसे स्थगित कर दिया गया था.
इसरो के अधिकारियों ने बताया कि अब दूसरे चरण को बदलकर अलग-अलग धातु से बना नया चरण लगा दिया गया है. साथ ही पहले चरण के कुछ महत्वपूर्ण उपकरणों में भी बदलाव किया गया है.
इस रॉकेट यान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि उसने रॉकेट निर्माण की दिशा में पहला कदम बढ़ाया है. इसके साथ ही यह यान चार टन अधिक भार वहन करने में सक्षम है.
पिछले चार वर्षों में जीएसएलवी का यह पहला अभियान है. इससे पहले 2010 में दो अभियान विफल हो चुके हैं. इसमें जीएसएलवी का एक रॉकेट भारत में निर्मित क्रायोजेनिक इंजन और दूसरा रूस के इंजन से उड़ान भरेगा. इस यान के जरिए भेजे जाने वाले भूस्थैतिक संचार उपग्रह जीसैट-14 का निर्माण 45 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है.