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GST विधेयक को कैबिनेट ने दी मंजूरी, संसद के चालू सत्र में पेश होने की संभावना

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी. इससे विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र में ही पेश करने का रास्ता साफ हो गया.

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वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)
वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी. इससे विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र में ही पेश करने का रास्ता साफ हो गया.

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सूत्रों ने कहा कि मंत्रिमंडल ने विधेयक को बुधवार देर शाम मंजूरी दी और इसे संसद के मौजूदा सत्र में पेश किया जा सकता है. शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर को समाप्त हो रहा है. सरकार का एक अप्रैल 2016 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य है.

पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने समेत अन्य जटिल मुद्दों को लेकर केंद्र तथा राज्यों के बीच इस सप्ताह बनी सहमति के बाद संशोधित संविधान संशोधन विधेयक को मंत्रिमंडल के समक्ष लाया गया. पेट्रोलियम उत्पादों पर कर को लेकर प्रस्तावित जीएसटी करीब सात साल से अटका हुआ था. जीएसटी केंद्रीय स्तर पर उत्पाद शुल्क तथा सेवा कर तथा राज्यों में लगने वाले वैट (मूल्य वर्धित कर) एवं स्थानीय करों का स्थान लेगा.

इससे पहले, जीएसटी विधेयक को 2011 में लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही विधेयक निरस्त हो गया. इससे नई सरकार को नया विधेयक लाना पड़ा है. इस सप्ताह की शुरूआत में इसको लेकर केंद्र तथा राज्यों में सहमति बनी थी. इसके तहत केंद्र ने जहां पेट्रोलियम को जीएसटी से बाहर रखने का निर्णय किया वहीं राज्य इसके बदले प्रवेश शुल्क को नई कर व्यवस्था के दायरे में लाने पर सहमत हुए.

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पिछले सप्ताह तीन दौर की बातचीत में राज्यों ने इस बात पर जोर दिया था कि मुआवजा वाले हिस्से को संविधान संशोधन विधेयक में शामिल किया जाए. सर्वप्रथम 2006-07 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने जीएसटी का विचार आगे बढ़ाया था. शुरू में इसे एक अप्रैल 2010 को लागू किया जाने का प्रस्ताव था.

इनपुट-भाषा

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