मोदी सरकार मानसून सत्र में मचे हंगामे के बीच मंगलवार को राज्यसभा में बहुचर्चित जीएसटी बिल पेश करने वाली है. इसके मद्देनजर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है. जबकि विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक अब बिहार विधानसभा चुनाव के बाद संसद के शीतकालीन सत्र में लाया जाएगा.
भूमि बिल के कुछ अहम प्रावधानों को लेकर विपक्ष अपने रुख पर कायम है, वहीं सत्ता पक्ष विधेयक का अध्ययन कर रही संयुक्त समिति में मतविभाजन से बचना चाहता है. संसद के शीतकालीन सत्र तक समिति का कार्यकाल और बढ़ाने की मांग करने का फैसला समिति में बीजेपी और कांग्रेस सदस्यों के बीच तीखे वाकयुद्ध के बाद लिया गया. कांग्रेस ने 1894 के अधिनियम के तहत अधिग्रहित भूमि के मुआवजे संबंधी मामलों को निपटाने में विधेयक के पूर्वप्रभावी उपबंध में किसी भी प्रकार के बदलाव का विरोध किया. इसी 1894 के अधिनियम के स्थान पर 2013 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में नया विधेयक पारित किया गया था.
मतविभाजन की मांग
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और बीजेडी के सदस्यों ने मतविभाजन की मांग की तो समिति के अध्यक्ष एस एस अहलूवालिया ने कहा कि समिति सर्वसम्मति से एक रिपोर्ट देगी और कुछ उपबंधों का बारीकी से अध्ययन करने के लिए और समय मांगने की कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों की मांग को स्वीकार कर लिया.
समिति को इससे पूर्व दिए गए विस्तार में 11 अगस्त तक रिपोर्ट देने का समय दिया गया था. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सदस्यों की और समय की मांग के बाद अहलूवालिया ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से समिति को एक और समय विस्तार देने की अपील करने का फैसला किया क्योंकि वह सर्वसम्मत रिपोर्ट सौंपना चाहते हैं.
समिति में बीजेपी के 11 सदस्य हैं, वहीं सहयोगी एलजेपी, टीडीपी और शिवसेना के एक-एक सदस्य हैं. विपक्ष में कांग्रेस के पांच सदस्य हैं तो तृणमूल कांग्रेस के दो, बीजेडी, सीपीएम, जेडीयू, टीआरएस, एनसीपी, एसपी और बीएसपी के एक-एक सदस्य हैं.
शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन तक समय मांगने के प्रस्ताव को लोकसभा की मंगलवार की कार्यसूची में सूचीबद्ध किया गया है. शीतकालीन सत्र सामान्य तौर पर नवंबर के तीसरे सप्ताह में शुरू होता है और दिसंबर के तीसरे सप्ताह में समाप्त होता है. इसका मतलब यह होगा कि विधेयक बिहार में विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद ही संसद में आएगा जहां बीजेपी नीतीश कुमार सरकार का सफाया करने की उम्मीद लगा रही है.