केंद्र सरकार के इशारे पर शुक्रवार को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में सर्राफा कारोबारियों को लेकर बड़ा फैसला हुआ है. साथ ही छोटे कारोबारियों को भी सरकार ने राहत दी है. काउंसिल ने कम्पाउडिंग स्कीम के नियमों में बदलाव करते हुए सीमा बढ़ा दी है. कम्पाउडिंग स्कीम की सीमा 75 लाख से 1 करोड़ कर दी गई है. साथ ही व्यापारियों को तिमाही रिटर्न दाखिल करने की छूट दी गई है.
सर्राफा कारोबारियों को भी राहत दी गई है. अब 2 लाख रुपये की तक की खरीदारी पर पैन देना जरूरी नहीं होगा, पहले 50 हजार रुपये से ज्यादा की खरीदारी पर PAN देना अनिवार्य था.
सरकार ने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था में लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) को राहत दी है. जीएसटी परिषद ने ‘कंपोजिशन’ योजना अपनाने वाली कंपनियों के लिये कारोबार की सीमा 75 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी. इस योजना के तहत एसएमई को कड़ी औपचारिकताओं को पूरा किये बिना एक से पांच प्रतिशत के दायरे में कर भुगतान की सुविधा दी गई है.
छोटी इकाइयों और कारोबारियों की जीएसटी व्यवस्था में अनुपालन बोझ को लेकर शिकायत थी. परिषद ने उन करदाताओं को तथाकथित ‘कपोजिशन स्कीम’ का विकल्प देने का फैसला किया है जिनका सालाना कारोबार एक करोड़ रुपये या उससे कम है. अब तक यह सीमा 75 लाख रुपये थी.
आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री वाई रामकृष्णुडू ने कहा कि वित्त मंत्री अरूण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने शुक्रवार को हुई 22वीं बैठक में एसएमई के लिये कंपोजिशन योजना के तहत सीमा बढ़ाने का फैसला किया है.
केरल के वित्त मंत्री थामस इसाक ने कहा कि निर्यातकों को आईजीएसटी (एकीकृत माल एवं सेवा कर) राहत और ई-वॉलेट सुविधा मिलेगी. जीएसटी परिषद ने रेस्तरां के लिये जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने पर विचार के लिये एक समिति भी गठित की है.
कुल 90 लाख पंजीकृत इकाइयों में से अब तक 15 लाख ने कंपोजिशन योजना का विकल्प चुना है.
कंपोजिशन स्कीम में वस्तु व्यापारियों के लिये कर की दर एक प्रतिशत है. वहीं विनिर्माताओं के लिये दो प्रतिशत, खाद्य या पेय पदार्थ (अल्कोहल के बिना) की आपूर्ति करने वालों के लिये 5 प्रतिशत रखा गया है.
सेवा प्रदाता कंपोजिशन योजना का विकल्प नहीं चुन सकते.
कंपोजिशन योजना भोजनालय समेत छोटी कंपनियों को तीन स्तरीय रिटर्न भरने की प्रक्रिया का पालन किये बिना एक से पांच प्रतिशत के दायरे में तय दर से कर देने की अनुमति देती है.
यह छोटे करदाताओं को स्थिर दर पर जीएसटी भुगतान की अनुमति देता है और उन्हें जटिल जीएसटी औपचारिकताओं से गुजरने की जरूरत नहीं होती है.
रेस्तरां संबंधित सेवाओं, आइसक्रीम, पान मसाला या तंबाकू विनिर्माता, आकस्मिक करदाता अथवा प्रवासी करदाता व्यक्ति तथा ई-वाणिज्य ऑपरेटर के जरिये वस्तुओं की आपूर्ति करने वाली कंपनियों के अलावा अन्य कोई भी सेवा प्रदाता इस योजना का विकल्प नहीं चुन सकता है. जो भी कंपनी कंपोजिशन योजना का विकल्प चुनती हैं, वे ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ का दावा नहीं कर सकती.
साथ ही करदाता एक ही राज्य में आपूर्ति कर सकते हैं और वस्तुओं की एक राज्य से दूसरे राज्य में आपूर्ति नहीं कर सकते.
वहीं डेढ़ करोड़ रुपये तक के टर्न ओवर वाले व्यापारियों को तिमाही रिटर्न दाखिल करने की छूट दी गई है. पहले हर महीने रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान था.
काउंसिल की बैठक में शामिल बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर जानकारी देते हुए कहा कि पीएमएलए एक्ट से सर्राफा कारोबार को बाहर कर दिया है. अब डेढ़ करोड़ टर्नओवर वाले व्यापारी तीन महीने में रिटर्न दे सकते हैं. साथ ही रिवर्स चार्ज की व्यवस्था को 31 मार्च तक स्थगित कर दिया गया है .
जीएसटी परिषद के निर्णयों से बिहार के कारोबारियों को सर्वाधिक लाभ pic.twitter.com/9V4406Ccrw
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) October 6, 2017
क्यों पड़ी बदलाव की जरूरत?
जीएसटी के जरिए वैल्यू ऐडड टैक्स (वैट) की बेकार हो चुकी कर प्रणालू को बदलने का कदम उठाया जा चुका है. लेकिन बीते तीन महीनों के दौरान देश में छोटे-बड़े कारोबारियों को इस नई कर व्यवस्था के तहत जाने में बड़ी दिकक्तों का सामना कर पड़ रहा है. जीएसटी काउंसिल की इस बैठक में इन्हीं दिक्कतों को दूर करने के लिए अहम फैसले लिए जाएंगे.
जीएसटी में बदलाव को लेकर मोदी ने क्या कहा था?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा था कि जीएसटी लागू करने में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार जीएसटी कानून में बड़े फेरबदल करने की पक्षधर है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि कारोबार को राहत पहुंचाने और नई टैक्स व्यवस्था जीएसटी को जल्द से जल्द ट्रैक पर बैठाने के लिए उन सभी अड़चनों को हटाने की पहल की जाएगी जिससे कारोबारियों को परेशानी हो रही है.
क्यों सुधार चाहती है सरकार
जीएसटी को सामान्य होने में कम से कम छह महीने से एक साल का समय लगेगा. जीएसटी के सफल क्रियान्वयन के साथ ही भारत बड़ी आर्थिक शक्तियों के समूह में शामिल हो जाएगा और लोगों का जीवन स्तर बेहतर होगा. लिहाजा, केन्द्र सरकार जल्द से जल्द जीएसटी कानून में सुधार कर इसे वन नेशन वन टैक्स के लिए पूरी तरह से तैयार करने जा रही है.