1 जुलाई से देशभर में जीएसटी लागू हो गया है. संसद के केन्द्रीय कक्ष में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घंटा बजाये जाने के साथ लागू हो गया. केंद्र सरकार ने पूरे जोश के साथ पूरे देश में जीएसटी को लागू किया है. ऐसा बताया जा रहा है कि आजादी के बाद ये देश का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार है. वहीं जीएसटी के लागू होते ही विपक्षी दलों के नेताओं ने अपने विचार व्यक्त करने शुरु कर दिए है.
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि पीएम मोदी को माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने सरदार पटेल जैसे महान व्यक्ति से अपनी तुलना की उन्हें शर्म आनी चाहिए. खुशी इस बात की है कि, जिस व्यक्ति ने हमेशा जीएसटी का पुरजोर विरोध किया, चलिए वो अब इसको ऐतिहासिक बता रहा है. उन्होंने कहा कि इससे छोटे व्यापारियों को दिक्कतें होंगी. किसी भी देश में मल्टी स्लैब जीएसटी सफल नहीं हुआ. हम जीएसटी के समर्थन में हैं,लेकिन इस जीएसटी के नहीं.
इसके प्रावधान गलत हैं. ये एक देश एक कर नहीं है. नोटबन्दी की तरह गुमराह किया जा रहा है. बीजेपी के मंत्री तो वही बोल रहे हैं जो मोदी जी ने उनको तोते की तरह रटाया है. इस कानून में भारी पेचीदगियां, दिक्कतें होंगी. जो व्यापारी हमेशा जनसंघ और बीजेपी को वोट देते थे, वो अब दुखी हैं. ठीक है कि, कुछ विरोधी दल कार्यक्रम में गए, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि, वो जीएसटी के समर्थन में हैं.
सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि यह देश के लिए बहुत बड़ा सुधार है. इसके लिए जीएसटी को लागू करने के लिए संविधान का संशोधन करना पड़ा. हमारे संघवाद और केंद्र और राज्यों के बीच के संबंध का और राज्य सरकारों के अधिकार पर एक बड़ा अधिक असर पड़ेगा. सरकार ने तैयारी करते समय ध्यान नहीं दिया. बेहद जल्दबाजी में बहुत सारे दिक्कतें पैदा की. सरकार ने जीएसटी को बिना होमवर्क के लॉन्च किया.
टैक्स कितना होगा इस सवाल पर वित्त मंत्री ने संसद में हमें आश्वासन दिया कि जीएसटी काउंसिल टैक्स की दरों को जो भी रखेगी उसका आखरी फैसला लेने के लिए संसद में सामने लाया जाएगा. पर ऐसा नहीं हुआ. अब उसे लागू कर दिया गया है. सारे व्यापारी हड़ताल पर हैं. कई सारे लोग अपनी चीजों को 50-60 फीसदी दामों पर बेच रहे हैं, क्योंकि माल को खत्म करना है. अगर कुछ दिन की समस्याएं भी हैं, तो सरकार को उसके बारे में पहले से सोच कर कुछ तैयारी क्यों नहीं की.
Govt hasn't prepared for GST. No Parliamentary scrutiny to GST council decisions. This is another event like everything else in this govt pic.twitter.com/r8v7sHXd0d
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) June 30, 2017
उन्हेंने पूछा कि जीएसटी के बारे में सलाह और सब से बातचीत करके उसके लिए जो होमवर्क करना था, वह क्यों नहीं किया गया? ऐसी क्या जल्दबाजी थी? 5 करोड रुपए आपने खर्च कर दिया सेंट्रल हॉल को रेनोवेट करने में फंक्शन के लिए, किसका पैसा है वह? साथ ही उन्होंने कहा कि नाटक बाजी से देश नहीं चलेगा. यह आर्थिक रिफार्म इस सरकार का नहीं है पिछले 20 सालों में इसके बारे में चर्चा हो रही थी.
इसके चलते हुए बड़े बड़े पूंजीपतियों विदेशी पूंजी को फायदा हो सकता है, लेकिन आम आदमी को सब चीज अब भारी पड़ेगी. इसके साथ ही डिजिटल ट्रांजैक्शन पर 3% चार्ज बढ़ गया. नोटबंदी करके आप ने कहा सब को डिजिटल करो आप 3 परसेंट उसके ऊपर दाम बढ़ा दिया तो सब का दाम बढ़ गया ना अब इसका असर आम लोगों पर पड़ेगा.
वहीं के सी त्यागी ने कहा कि क्योंकि हम ग्राहक उन्मुख हैं, लेकिन जीएसटी के कार्यान्वयन में जल्दबाजी लगती है. इसेस व्यापारियों के लिए आगे की समस्या सरकार के लिए हानिकारक होगी. जीएसटी परिषद के सदस्य के रूप में मैंने इस आशंका को व्यक्त किया था.
पी चिदंबरम ने ट्विट करके कहा कि यह वह जीएसटी नहीं है जो विशेषज्ञों ने पहले तैयार किया था. यह गंभीरता से मुद्रास्फीति को प्रभावित करेगा.
It is not the original GST that experts had drafted earlier, this will seriously impact inflation :P Chidambaram pic.twitter.com/JrqiBuDimY
— ANI (@ANI_news) July 1, 2017