विकास मॉडल का दुनिया भर में दम भरने वाले नरेंद्र मोदी गुजरात के किसानों की खुशहाली का जिक्र करना नहीं भूलते. लेकिन गुजरात के किसानों की हकीकत कुछ और ही है.
एक दिन पहले ही तो देश के किसानों का हमदर्द बनने के लिए नरेंद्र मोदी ने लाखों गांवों के किसानों से लोहा मांगा था. देश के लौहपुरुष सरदार पटेल की विशाल प्रतिमा बनाने के लिए गांधीनगर की रैली में किसानों के सामने झोली फैलाई थी. 24 घंटे भी नहीं बीते कि अहमदाबाद से महज 60 किलोमीटर दूर दर्जनों गांवों के किसान सड़कों पर आ गए. मोदी को लोहा देने के लिए नहीं, बल्कि मोदी सरकार से लोहा लेने के लिए.
दरअसल, मेहसाणा में मोदी सरकार की तरफ से स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन के लिए 50 हजार 744 एकड़ जमीन अधिग्रहण किए जाने की अधिसूचना जारी की गई है. 14 मई को जारी हुई अधिसूचना का असर एक-दो नहीं, बल्कि 44 गांवों के हजारों किसानों पर पड़ेगा. स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन बनाए जाने का एलान मेहसाणा के हासलपुर के पास उसी इलाके में हुआ है, जहां मारुति को 640 एकड़ जमीन दी गई है. किसानों को डर है कि उनकी खेती की जमीन मोदी की विकास योजनाओं की भेंट चढ़ गई, तो वो भूखे मारे जाएंगे.
मुख्यमंत्री मोदी जब भी गुजरात के विकास मॉडल की चर्चा करते हैं, तो गुजरात के किसानों की खुशहाली का जिक्र छेड़े बिना नहीं रहते. लेकिन अब सड़कों पर उतरे किसान मोदी के मॉडल को ही आईना दिखा रहे हैं.