2002 गुजरात दंगे के मुकदमों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने के मामले में सुनवाई टल गई है. गुलबर्गा सोसाइटी दंगा और हिंसा मामले में जकिया जाफरी की याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली.
सुप्रीम कोर्ट अब 14 अप्रैल को सुनवाई करेगा. दंगे के दौरान हुई आगजनी और हिंसा में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी ने इस मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट मिलने के खिलाफ याचिका दाखिल की है.
इससे पहले बीते दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में गुजरात की गुलबर्ग सोसायटी पर हुए हमले सहित गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में कथित निष्क्रियता के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और विशेष जांच दल (एसआईटी) को क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ जकिया एहसान जाफरी की याचिका पर सुनवाई सोमवार को जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया था.
कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी ने गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा मोदी और एसआईटी के अन्य सदस्यों को क्लीन चिट बरकरार रखने के फैसले को चुनौती दी थी.
न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने मामले को जनवरी के तीसरे सप्ताह के लिए सूचीबद्ध कर दिया था, क्योंकि जाफरी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि वह कुछ अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें समय की जरूरत है.
एसआईटी ने 19 नवंबर को जकिया जाफरी की याचिका पर प्रारंभिक आपत्ति जताते हुए इसका विरोध किया था और कहा था कि यह तथ्यों का मुद्दा है और कितने समय तक ऐसे ही जारी रहेगा.
जाफरी ने गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा पांच अक्टूबर, 2017 के दंडाधिकारी अदालत के फैसले को बरकरार रखे जाने को चुनौती दी है. दंडाधिकारी अदालत ने शीर्ष राजनेताओं और राज्य के अधिकारियों को, कथित व्यापक साजिश से क्लीन चिट देने वाली एसआईटी रपट को चुनौती देने वाली जाफरी की याचिका खारिज कर दी थी. उच्च न्यायालय ने दंडाधिकारी अदालत के फैसले को सही ठहराया था.