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गुजरात दंगा: निचली अदालतों को फैसला सुनाने की मंजूरी

गुजरात के गोधरा में वर्ष 2002 में हुये हत्याकांड और उसके बाद साम्प्रदायिक दंगों के सात अन्य मामलों में फैसला सुनाने के लिए राज्य की निचली अदालतों को उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को हरी झंडी दिखा दी लेकिन उस मामले पर फैसला रोक दिया जिसमें मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछताछ की गई थी.

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गुजरात के गोधरा में वर्ष 2002 में हुये हत्याकांड और उसके बाद साम्प्रदायिक दंगों के सात अन्य मामलों में फैसला सुनाने के लिए राज्य की निचली अदालतों को उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को हरी झंडी दिखा दी लेकिन उस मामले पर फैसला रोक दिया जिसमें मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछताछ की गई थी.

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उच्चतम न्यायालय ने छह मई के अपने स्थगन आदेश को रद्द करते हुए निचली अदालतों द्वारा संबंधित मामलों में फैसला सुनाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया. गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस पर हमला किया गया था जिसमें 59 लोग मारे गए थे. इसके बाद भड़के दंगों में लगभग एक हजार और लोग मारे गए थे.

गुलबर्ग सोसाइटी मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछताछ की थी. इस मामले में निचली अदालत तब तक कोई फैसला नहीं सुनाएगी जब तक कि उच्चतम न्यायालय इस मामले में दिये अपने स्थगन आदेश को रद्द नहीं कर देता. {mospagebreak}

कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी उन लोगों में शामिल हैं जो गुलबर्ग सोसाइटी दंगों में मारे गए थे. न्यायाधीश डी के जैन और न्यायाधीश पी सदाशिवम की पीठ ने विशेष जांच दल की उस याचिका को मंजूर कर लिया जिसमें उसने गुलबर्ग सोसाइटी दंगा मामले में अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए और पंद्रह दिन का समय मांगा था.

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पीठ ने गुजरात सरकार की वकील हेमंतिका वाही से बी यू जोशी के तबादले की याचिका पर जवाब भी मांगा जो गुलबर्ग सोसाइटी मामले की सुनवाई कर रहे हैं जिन पर पक्षपात के आरोप हैं. एक अन्य घटनाक्रम में, न्यायालय ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की न्याय मित्र की भूमिका से हटने की याचिका मंजूर कर ली. गुजरात सरकार भी चाहती थी कि प्रशांत भूषण इस भूमिका से हट जाएं.

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