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गुजरात के 'बेटी बचाओ' अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने पर विचार

गुजरात का ‘बेटी बचाओ अभियान’ जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर लागू हो सकता है क्योंकि केंद्र सरकार का मानना है कि इस अभियान से राज्य में बाल लिंग अनुपात में सुधार करने में सफलता मिली है.

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गुजरात का ‘बेटी बचाओ अभियान’ जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर लागू हो सकता है क्योंकि केंद्र सरकार का मानना है कि इस अभियान से राज्य में बाल लिंग अनुपात में सुधार करने में सफलता मिली है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय गुजरात के बेटी बचाओ अभियान के तर्ज पर सभी राज्यों में बाल लिंग अनुपात में सुधार के प्रयासों के तहत योजना लागू करने पर विचार कर रही है. मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

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मंत्रालय जल्द ही गुजरात के इस अभियान के अध्ययन की शुरूआत करेगा. राज्य में यह अभियान साल 2005 में शुरू किया गया था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे. एक अधिकारी ने कहा, ‘बाल लिंग अनुपात में गिरावट को रोकने के लिए हमारी अपनी कार्य योजना है, लेकिन हम बेटी बचाओ अभियान का अध्ययन करना चाहते हैं ताकि यह यह देख सकें कि क्या इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जा सकता है.’ साल 2001 की जनगणना में पता चला कि हर 1000 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या 934 से घटकर 920 रह गई. गुजरात में यह आंकड़ा 928 से गिरकर 883 तक पहुंच गया था. इस आंकड़े के आने के बाद अभियान की शुरूआत की गई. राज्य सरकार की ओर से शुरू किए गए अभियान के तहत लोगों को बच्चियों को बचाने, भ्रुणहत्या को रोकने और समाज में स्वस्थ लैंगिक संतुलन कायम करने के बारे में जागरूक किया गया.

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गुजरात में बेटी बचाओ अभियान में शामिल होने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बड़ी रैलियां निकालीं, पोस्टर अभियान, वाल पेंटिंग, बिलबोर्ड और टेलीविजन विज्ञापनों के जरिए अभियान चलाया. अधिकारी ने कहा कि प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण तकनीक अधिनियम के प्रावधानों को उचित ढंग से लागू करना महत्वपूर्ण है. इस अधिनियम के तहत गर्भाधान से पहले और बाद में लिंग का परीक्षण करना मना है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘बाल लिंग अनुपात में सुधार करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि भारत में हर गर्भवती महिला के बारे में पता हो और उसका पंजीकरण हो ताकि हम इसका रिकॉर्ड रख सकें. इसके बाद हमें जन्म और इसके बाद तक हर गर्भ के बारे में जानकारी रखनी होगी.’

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