गुजरात हाईकोर्ट ने आसाराम को राहत देने से इंकार कर दिया है. आसाराम की ओर से अपने भांजे के अंतिम संस्कार के लिए 30 दिनों के लिए अस्थाई जमानत याचिका कोर्ट में दायर की थी, जिसे कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया. आसाराम रेप मामले में इन दिनों जेल में बंद हैं.
जज परेश उपाध्याय ने कहा कि आसाराम को अपने भांजे का महज अंतिम संस्कार करने के लिए अस्थायी जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता. 73 वर्षीय आसाराम ने अस्थायी जमानत के लिए गुरुवार को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जब एक दिन पहले गांधीनगर की एक कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी. गांधीनगर की कोर्ट ने यह कहते हुए आसाराम को जमानत देने से मना कर दिया था कि उनके भांजे शंकर पगरानी का अंतिम संस्कार मृतक के परिवार के अन्य सदस्य कर सकते हैं. पगरानी की 19 मार्च को मौत हो गई थी.
पगरानी का शव शहर के सिविल अस्पताल में कोल्ड स्टोरेज में रखा गया है. आसाराम की याचिका में कहा गया था कि पगरानी ने आखिरी इच्छा जताई थी कि उनका अंतिम संस्कार उनके मामा करेंगे, क्योंकि उसके माता-पिता की काफी पहले मौत हो गई थी. सूरत की दो बहनों ने आसाराम और उसके बेटे नारायण साई के खिलाफ अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई थीं और उन पर रेप, यौन उत्पीड़न, अवैध कैद और अन्य अपराधों का आरोप लगाया था.
इनपुट भाषा