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EXCLUSIVE: गुरमेहर की मां बोलीं- फोन पर हैलो नहीं, वंदेमातरम बोली बेटी

डीयू विवाद के बाद चर्चा में आई गुरमेहर कौर की मां ने बड़ा बयान दिया है. आजतक से एक्सक्लूसिव बातचीत में गुरमेहर की मां राजविंदर कौर ने बताया कि फोन पर उनकी बेटी ने हैलो की जगह वंदेमातरम् बोलकर बात शुरू की.

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गुरमेहर की मां राजविंदर कौर
गुरमेहर की मां राजविंदर कौर

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दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज की छात्रा गुरमेहर कौर अपने शहर जालंधर बेशक लौट चुकी हैं लेकिन उनका नाम लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. शहीद फौजी अफसर की बेटी गुरमेहर ने प्लेकार्ड के जरिए अपने जो भी विचार व्यक्त किए, उन्हें लेकर देश में अलग अलग राय सामने आई. अब वो चाहे एबीवीपी से नहीं डरने का गुरमेहर का ताजा प्लेकार्ड हो या पुराना वीडियो जिसमें गुरमेहर हाथ में कई प्लेकार्ड लेकर शांति का संदेश देते दिखाई देती हैं. इनमें से एक में ये भी लिखा था- "पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, जंग ने मारा."

गुरमेहर को अपनी राय जताने के लिए सोशल मीडिया पर जहां बहुत कुछ सुनने को मिला. यहां तक कि कथित तौर पर रेप की धमकी भी. हालांकि साथ ही गुरमेहर का समर्थन करने वालों की भी कमी नहीं रही. इस पूरे विवाद के बीच इंडिया टुडे ने गुरमेहर की मां राजविंदर कौर से फोन पर बात कर ये जानना चाहा कि युवा बेटी को इस स्थिति में देख एक मां का दिल क्या कहना चाहता है. साथ ही गुरमेहर की परवरिश के दौरान किस तरह की चुनौतियों का उन्हें सामना करना पड़ा और किस तरह के आदर्श उन्होंने सिखाए.

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इंडिया टुडे- जानना चाहते हैं आपके विचार और जिस तरह आपने गुरमेहर की परवरिश की, साथ ही जिस तरह के आदर्श आपने उसे सिखाए.

राजविंदर कौर- गुरमेहर का जन्म बंगला साहिब गुरुद्वारा में अरदास लगाने के बाद हुआ, इसलिए उसका नाम गुरमेहर रखा गया. हम दोनों पति-पत्नी के लिए गुरमेहर अनमोल थी. गुरमेहर ने बहुत जल्दी एक साल की उम्र से ही बोलना शुरू कर दिया था. उन दिनों गुरमेहर के पिता कुपवाड़ा में तैनात थे. गुरमेहर दो साल की होगी जब उसके पिता फोन पर बात करते थे तो वो 'वंदेमातरम्' कहती थी. गुरमेहर के पिता उसे गुल-गुल के नाम से बुलाते थे. वो जब फोन पर कहते थे गुल-गुल गाना सुनाओ तो गुरमेहर गाती थी- सोल्जर, सोल्जर...मीठी बातें बोलकर दिल को चूहा ले गया. गुरमेहर चुरा कर नहीं बोल पाती थी इसलिए चूहा कहती थी.

गुरमेहर के पिता के शहीद होने के बाद छोटी सी बच्ची को ये समझाना बहुत मुश्किल था कि उसके पापा इस दुनिया में नहीं रहे. उसके पापा जब भी घर आते थे तो उससे बहुत लाड करते थे, इसलिए वो पापा को ज्यादा मिस करती थी. अक्सर पूछती थी कि मम्मा, मेरे पापा कब आएंगे. उन दिनों सीरियल आता था-क्योंकि सास भी कभी बहू थी. उसमें मिहिर नाम के पात्र की मौत हो जाती है. लेकिन सीरियल में दिखाया गया था कि मिहिर कुछ महीने बाद लौट आता है. ये देखकर गुरमेहर ने कहना शुरू कर दिया कि मेरे पापा भी वापस आएंगे. ये वो समय था जब मैंने सख्त लहजे में गुरमेहर को समझाया कि पापा कभी वापस नहीं आएंगे, वो शहीद हो गए हैं. एक मां के लिए छोटी बच्ची को मौत के बारे में समझाना किसी चुनौती से कम नहीं था.

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इंडिया टुडे- कुछ लोगों के आपकी बेटी को 'देश-विरोधी' कहना आपको आहत करता होगा. जिस तरह के सवाल किए जा रहे हैं, उन पर आपका क्या कहना है?

राजविंदर कौर- मैं जानती हूं कि वो क्यों शांति की बात करती है. वो इस वेदना को भीतर से महसूस कर सकती है. क्योंकि एक बच्चे के लिए उसका पहला हीरो पिता होता है. आप उस बच्चे की मनोस्थिति समझ सकते है जब उसका इस असलियत से सामना होता है कि पिता दुनिया में नहीं रहे. प्री नर्सरी स्कूल में जब मैं उसका दाखिला कराने ले गई तो वहां सब बच्चों के मम्मी-पापा दोनों साथ आए हुए थे. ये गुरमेहर भी देख रही थी. उसने मुझे कस कर पकड़ लिया. उस वक्त 15-20 मिनट तक मेरी आंखों में आंसू रहे. यही सोचती रही कि जब मेरा ये हाल है तो ये सब देख छोटी सी गुरमेहर पर क्या बीत रही होगी. शहीद की पत्नी होना आसान नहीं है. शहीद की बेटी होना आसान नहीं है. अगर वो (गुरमेहर) शांति का संदेश दे रही थी तो इसलिए कि किसी और बच्चे को इस सब से ना गुजरना पड़े. गुरमेहर बहुत जज्बाती है. पिछले साल उसने सभी के लिए शांति का पैगाम भेजा. गुरमेहर को ये अक्सर करीबियों या रिश्तेदारों से सुनना पड़ता था कि उसके पापा ऐसे थे. उन्होंने ये किया था, वो किया था. एक बच्चे के दिमाग में नकारात्मक विचार नहीं आने चाहिए. कच्ची उम्र से ही मैंने उसे सही तरह से गाइड किया. हमारे देश में लोग सिर्फ सिम्पल चीजों को समझते हैं. उसके पीछे की गहराई को समझने की भी कोशिश की जानी चाहिए. व्यक्त किए गए हर भाव के पीछे और भी कई भाव छुपे होते हैं. गुरमेहर हर चीज के लिए बहुत सकारात्मक है. उसकी सोच से नकारात्मक बातें दूर रहे इसलिए बचपन में उसे 'एनी फ्रैंक' का लिखा पढ़ने को दिया. 'लाइफ इज ब्यूटीफुल' जैसी फिल्में दिखाई. गुरमेहर युद्ध जैसी स्थिति के परिणामों को अच्छी तरह समझती है. नकारात्मकता से दूर रखने के लिए ही मैंने उसे समझाया कि किसी खास ने उसके पापा को नहीं बल्कि युद्ध ने मारा. सोशल मीडिया पर जो बातें कही जा रही हैं, मजाक किए जा रहे हैं वो निश्चित रूप से आहत करते हैं. लेकिन ये सब अस्थायी हैं. इसलिए ये मायने नहीं रखता. मैंने गुरमेहर को यही समझाया कि ये स्थिति हमेशा के लिए नहीं रहने वाली. हम शांति चाहते हैं. अगर तुम शांति चाहते हो तो तुम्हें इन सब बातों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा.

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इंडिया टुडे- पिछले 48 घंटे आपके लिए कितने मुश्किल रहे और आप एक मां के नाते कैसे अपनी बेटी को आलोचनाओं का सामना करने के लिए मदद कर रही हैं.

राजविंदर कौर- ईमानदारी से कहूं तो मैं ज्यादा आहत हूं पर मैं अपनी बेटी से सीख रही हूं. वो बहुत मजबूत इंसान है. मजबूत लड़की है. मेरी एक दोस्त मुझसे कहती थी कि अगर तुम्हें भी कुछ हो गया तो तुम्हारी बेटी का क्या होगा. अब मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि अगर मुझे कुछ हो गया तो मैं जानती हूं कि मेरी बेटी बहुत मजबूत है और अच्छी तरह अपना ध्यान रखने में सक्षम है.

इंडिया टुडे- एक मां की तरफ से ये बहुत मजबूत संदेश है. क्या आप निराश हैं कि 20 साल की लड़की की राय पर प्रतिक्रिया देने के लिए क्रिकेटर, रेसलर, मिनिस्टर सभी कूद पड़े.

राजविंदर कौर- गुरमेहर खुद भी एक टेनिस खिलाड़ी है. वो अच्छी तरह समझती है कि टेनिस प्लेयर एक दूसरे के साथ कैसे हमेशा मजाक करते हैं. मैं इसे बुरा नहीं मानती. सहवाग वरिष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी हैं. साथ ही इस देश का गौरव हैं. मैं उनकी निष्ठा का सम्मान करती हूं कि वो जो आईपीएल हो या देश के लिए क्रिकेट, सभी जगह दिखाते थे. मैं फोगाट बहनों का भी सम्मान करती हूं. वो महिला शक्ति की प्रतीक हैं. मेरी खुद भी दो बेटियां हैं. उन्होंने जो कहा वो देश के लिए अपने प्रेम की वजह से कहा. उन्होंने समझा कि गुरमेहर की अभिव्यक्ति शायद कुछ अलग है. गुरमेहर भी देश से उतना ही प्यार करती है. ये वो लड़की है जिसने फोन पर हैलो की जगह वंदेमातरम् कहने की शुरुआत की. उसने देशविरोधी जैसा कुछ नहीं कहा. जैसा मैंने पहले कहा उसने 'लाइफ इज ब्यूटीफुल' जैसी फिल्में देखकर अपनी तार्किक सोच विकसित की. वो बहुत पढ़ती भी है. जो पढ़ती है उसे अंदर तक महसूस करती है.

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इंडिया टुडे- ये जानकर अच्छा लगा कि सब कुछ होने के बाद भी आप इतनी सकारात्मक सोच रखती हैं. लेकिन एक चीज लोगों को परेशान कर रही है वो गुरमेहर का ये कहना कि पाकिस्तान ने नहीं जंग ने उनके पिता को मारा. एक मां के नाते अपनी बेटी के इस नजरिये पर आपका क्या कहना है.

राजविंदर कौर- जैसा कि मैंने पहले कहा कि उसकी सिर्फ एक लाइन को उद्धृत किया गया. गुरमेहर का मकसद एक खास घटना का हवाला देकर अपनी बात को कहना था. छोटी होने पर वो नफरत की वजह से एक महिला के पीछे भागी थी. तब उसे मां यानि मैंने समझाया था कि पाकिस्तान ने उसके पिता को नहीं बल्कि जंग ने मारा था. दीर्घ परिप्रेक्ष्य में गुरमेहर यही बताना चाहती थी कि युद्ध क्या है. युद्ध विनाश है. ऐसी स्थिति जिसमें लोग आपस में लड़ते हैं, देश आपस में लड़ते हैं. मैं अपनी बेटी के मन में पड़ोसी देश की ऐसी छवि नहीं बनने देना चाहती थी कि जो उसमें जहर भरे या भविष्य में शांति के मौके को अवसर देने के लिए तैयार ना हो. ये सिर्फ क्लिपिंग्स का एक हिस्सा था. उसने ये नहीं कहा कि ऐसा नहीं हुआ. उसने कहा कि मैंने इसे सकारत्मकता के साथ लिया और नफरत की भावना को खुद से हटाया. ये सब के लिए नहीं था.किसी को भी बयान के पीछे नहीं जाना चाहिए. वो एक घटना के हवाले से नजरिया साफ करने के लिए कहा गया था.

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इंडिया टुडे- आखिरी सवाल क्या आप बेटी गुरमेहर को लेकर भयभीत हैं? आप गुरमेहर से क्या कह रही हैं.

राजविंदर कौर- मैं डरी नहीं हुई हूं. मैं ओवर प्रोटेक्टिव से ऊपर हूं. वो फौजी की बेटी है. वो बहादुर लड़की है. वो अपने फैसले लेती है. वो कायर नहीं साहसी इंसान है.

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