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नशा मुक्ति अभियान से उजड़े घरों के गुरमीत बने 'राम', महिलाओं को बनाया ढाल

राम रहीम ने नशा मुक्ति का व्यापक अभियान शुरू किया. हरियाणा-पंजाब के गरीब पुरुष बड़ी संख्या में इसके शिकार थे. नशा मुक्ति अभियान ने महिलाओं को डेरे के साथ जोड़ा. विधवा विवाह, स्त्री शिक्षा और दहेज विरोध ने बाबा को अलग धऱातल पर स्थापित कर दिया.

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गुरमीत राम रहीम ने अपना कारोबार भक्तों को ढाल बनाकर बढ़ाया
गुरमीत राम रहीम ने अपना कारोबार भक्तों को ढाल बनाकर बढ़ाया

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कैसे राजस्थान के एक मामूली परिवार के लड़के पर डेरा प्रमुख की नजर पड़ती है और फिर उसकी दुनिया बदलती चली जाती है. प्रमुख बनने के बाद राम रहीम ने डेरे का भारी विस्तार किया. लेकिन रुतबा बढ़ने के साथ ही उसके भीतर कुछ ऐसे ऐब भी आते चले गए जिसने एक वैभवशाली शख्स को जेल के सीखचों के पीछे पहुंचा दिया.  

राम रहीम की मायावी दुनिया के इस विस्तार पर धर्मशास्त्र और अर्थशास्त्र के सिद्धांतों की सारी व्याख्याएं स्थगित हो जाती हैं, धरे रह जाते हैं वैभव और विलासिता के पैमाने. और टूटती चली जाती हैं आध्यात्म में सादगी के सिद्ध संस्कार की कुंडियां. 7 साल के गुरमीत सिंह से 49 साल के बाबा राम रहीम के बीच का फासला केवल 42 बरस का नहीं है. एक साधारण मनुष्य के आडंबरों के उल्कापिंड में बदल जाने का भी है.

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31 मार्च 1974 को जब डेरा प्रमुख शाह सतनाम सिंह ने सात साल के गुरमीत सिंह को राम रहीम का नाम दिया था तो उन्हें अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि उनका ये शिष्य डेरे की साधारणता की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए नहीं भोग-विलास के शौक के लिए जाना जाएगा.

राम रहीम ने बाबाओं के बाजार में अपनी ब्रांडिग आम आदमी के बाबा के तौर पर की. सिरसा के डेरे को एक ऐसे अड्डे में बदला जहां छोटी-छोटी मुश्किलों से जूझते हुए मामूली लोगों के लिए भी एक बाबा हाजिर हो।. राम रहीम ने इस बाजार के जातीय वर्ग विभाजन को अच्छी तरह से समझा और महसूस किया कि दलितों, पिछड़ों और निचले तबके की औरतों के लिए ऐसा कोई बाबा नहीं है जिसके दरबार में वो अपना शीश नवा सकें, फिर क्या था बाबा ने अपनी नजरें इसी बाजार के विस्तार पर गड़ा दीं.

राम रहीम ने नशा मुक्ति का व्यापक अभियान शुरू किया. हरियाणा-पंजाब के गरीब पुरुष बड़ी संख्या में इसके शिकार थे. नशा मुक्ति अभियान ने महिलाओं को डेरे के साथ जोड़ा. विधवा विवाह, स्त्री शिक्षा और दहेज विरोध ने बाबा को अलग धऱातल पर स्थापित कर दिया.

देखते ही देखते राम रहीम ने डेरा सच्चे सौदे को आश्रम की तरह नहीं कंपनी की तरह चलाना शुरू किया. रिकॉर्ड दर्ज कराने का चस्का लगा. अखबारों में छपने की लत लगी, टीवी पर चेहरा दिखाने की भूख बढ़ी. इस बढ़ती हुई भूख में राम रहीम के भीतर यह भ्रम पैदा किया कि बाबा नहीं ब्रांड हैं.

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डेरे का दावा है कि दुनियाभर में उसके 5 करोड़ से ज्याया अनुयायी हैं. भक्त अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में भी हैं. अकेले हरियाणा में ही 25 लाख से ज्यादा डेरा समर्थक हैं. पूरे भारत में डेरे की 5000 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है. सिरसा के आश्रम में एक साथ 1 लाख भक्त रुक सकते हैं.

भक्त बढ़े तो राम रहीम को इस तादाद में कारोबार नजर आया. एमएसजी के नाम से अपनी दवा कंपनी बनाई. आटा-दाल-तेल का कारोबार शुरू किया. पूजा सामग्री का धंधा बढ़ा, और इसी के साथ बढ़ी राम रहीम की आर्थिक और सियासी ताकत. वोट के लिए नेता राम रहीम के दरबार में सिर नवाने आने लगे.  

राम रहीम के बारे में ऐसे-ऐसे मिथक गढ़े जाने लगे कि दूसरे बाबाओं से मुकाबला ही न रहे, जैसे बाबा रैप संगीत के मास्टर हैं, बाबा गीतकार हैं, बाबा शानदार सिंगर हैं, बाबा जबरदस्त एक्टर हैं. बाबा लाजवाब डायरेक्टर हैं.

जैसे-जैसे आश्रम की आमदनी बढ़ी राम रहीम की अय्याशी बढ़ी. सार्वजनिक जीवन में सादगी का कारोबार करने वाला एक धार्मिक व्यापारी निजी जिंदगी में डेढ़ करोड़ की कार की सवारी करता था. बाबा किस कार में सवार हैं ये पता न चले इसलिए आगे-पीछे काले रंग की डेढ़-डेढ़ करोड़ की पांच गाड़ियां चलती थीं. चमकदार पगड़ी में मोरपंख बांधने वाले इस बाबा ने विलासिता के सारे पैमाने ध्वस्त कर दिए थे.

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