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वेद प्रताप वैदिक ने सार्वजनिक किया हाफिज सईद का इंटरव्यू, भारत में भाषण देना चाहता है दुर्दांत आत

पत्रकार वेद प्रताप वैदिक ने आतंकी हाफिज सईद से हुई अपनी बातचीत आखिरकार सार्वजनिक कर दी. उन्होंने अपनी वेबसाइट पर मुंबई हमलों के आरोपी का इंटरव्यू लगाया है. वैदिक ने हाफिज के व्यवहार को 'संयमित' बताया. साथ ही, दावा किया कि हाफिज ने उनसे कहा कि वह उनके लेख पढ़ता रहा है.

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Ved Pratap Vaidik met Hafiz Saeed
Ved Pratap Vaidik met Hafiz Saeed

पत्रकार वेद प्रताप वैदिक ने आतंकी हाफिज सईद से हुई अपनी बातचीत आखिरकार सार्वजनिक कर दी. उन्होंने अपनी वेबसाइट पर मुंबई हमलों के आरोपी का इंटरव्यू लगाया है. वैदिक ने हाफिज के व्यवहार को 'संयमित' बताया. साथ ही, दावा किया कि हाफिज ने उनसे कहा कि वह उनके लेख पढ़ता रहा है.

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वैदिक ने पिछले दिनों अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान सईद से मुलाकात की थी. मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया के आने पर से विवाद खड़ा हो गया था. मामले में वैदिक के खिलाफ पहले ही 'राजद्रोह' का केस दर्ज हो चुका है.

वैदिक ने अपनी मुलाकात पर विस्तृत सफाई भी पेश की है. उन्होंने बताया है कि पाकिस्तान के कुछ पत्रकारों की मदद से वह 2 जुलाई को सुबह 7 बजे हाफिज सईद से मिले थे. उन्होंने लिखा, 'यदि मुझे मोदी सरकार ने भेजा होता तो अपने पत्रकार-बंधुओें या अपनी पत्नी को भी मैं क्यों बताता? यदि यह भेंट कूटनीतिक या गोपनीय होती तो सदा गोपनीय ही रहती, चाहे फिर मुझे इसकी कितनी ही कीमत चुकानी पड़ती.'

वैदिक ने बताया है कि बातचीत के दौरान हाफिज सईद का बर्ताव 'संयमित' था. उन्होंने लिखा, 'मुझे इस बात का बहुत आश्चर्य हुआ कि वह मेरे तीखे सवालों से थोड़ा उत्तेजित तो हुआ लेकिन बौखलाया बिल्कुल भी नहीं. इतना भयंकर आतंकवादी इतना संयमित कैसे रह सका? शुरू के पांच-सात मिनट मुझे ऐसा जरूर लगा कि वातावरण बहुत तनावपूर्ण है और कहीं ऐसा न हो कि बात एकदम बिगड़ जाए. अनेक बंदूकधारी कमरे के बाहर और अंदर भी खड़े थे. लेकिन मैं ऐसे दृश्य अफगानिस्तान में प्रधानमंत्री हफीजुल्लाह अमीन के साथ भी 35 साल पहले देख चुका हूं. घंटे भर की बातचीत में कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन तू-तू–मैं-मैं की नौबत नहीं आई. किन्हीं फूहड़ शब्दों का इस्तेमाल नहीं हुआ. सारी बातचीत के बाद मुझे लगता है कि हाफिज़ सईद का व्यक्तित्व एक पहेली है. बातचीत खत्म होने के बाद वह मुझे कार तक छोड़ने आया, जैसा कि मियां नवाज़ शरीफ भी अक्सर करते हैं.'

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पढ़ें हाफिज सईद और वेद प्रताप वैदिक की पूरी बातचीत
हाफिज सईद: मैं आपके लेख पढ़ता रहा हूं और आपके टीवी इंटरव्यूज भी मैंने कई देखे हैं लेकिन आप अपने बारे में थोड़ा और बताइए.

वेदप्रताप वैदिक: मैंने अन्तरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी किया है, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से. दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक कॉलेज में फिर चार साल राजनीतिशास्त्र पढ़ाया और फिर अखबार और एक न्यूज एजेंसी का संपादक रहा. विदेश नीति और अन्य विषयों पर मेरे लगभग दर्जन भर ग्रंथ निकले हैं. पत्रकारिता मैं पिछले 50-55 साल से कर रहा हूं. आपके देश में मैं पिछले 30-35 साल से बराबर आ रहा हूं. अब क्या आप मुझे अपने बारे में बताएंगे?

सईद: हां, क्यों नहीं. मेरा जन्म मार्च 1948 में हुआ. मेरे माता-पिता भारत से पाकिस्तान आए थे.

वैदिक: आप क्या बिहार के हैं, मुहाजिर?

सईद: मेरी मां रोपड़ में गर्भवती हुई थीं और मुझे पाकिस्तान आकर उन्होंने जन्म दिया. इस तरह मेरा भारत से भी संबंध है.

वैदिक: यदि भारत से संबंध है तो फिर यह बताइए कि आपने भारत पर ऐसे भयंकर हमले क्यों करवाए?

सईद: यह बेबुनियाद इल्जाम है. जब बंबई के ताज होटल की खबर मैंने टीवी पर देखी तो क्या देखा कि दो घंटे के अंदर ही अंदर मेरा नाम आने लगा. बार-बार आने लगा.

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वैदिक: उसकी कुछ तो वजह होगी?

सईद: वजह बस एक ही थी. पिछली सरकार मेरे पीछे हाथ धोकर पड़ी हुई थी. उसका गृहमंत्री रहमान मलिक मेरा दुश्मन था. उसने मुझे जबर्दस्ती गिरफ्तार कर लिया.

वैदिक: आपकी सरकार ने ही आपको पकड़ लिया? उनके पास कुछ ठोस सबूत जरुर होंगे?

सईद: सबूत वगैरह कोई नहीं थे. उसे सिर्फ अमेरिका की गुलामी करनी थी. सरकार का दिवाला पिट रहा था. उसे पैसे चाहिए थे. मुझे पकड़कर उसने अमेरिका को खुश कर दिया और बड़ी मदद ले ली. लेकिन मैंने अदालत में सरकार को चारों खाने चित कर दिया. लाहौर के हाई कोर्ट ने मेरे वकीलों को बाहर कर दिया, इसके बावजूद रहमान की तिकड़म फेल हो गई. अदालत ने मुझे बरी कर दिया. लेकिन रहमान ने मुझे फिर गिरफ्तार कर लिया. मैं फिर सुप्रीम कोर्ट में गया. वहां भी मैं जीत गया. मेरा कोई गुनाह साबित नहीं हुआ.

वैदिक: अदालतें तो अदालते हैं. और फिर ये आपकी अपनी अदालते हैं. यदि ये कोई अन्तरराष्ट्रीय अदालतें होतीं तो कुछ और बात होती. यह भी ठीक है कि सरकारों के लिए तो वही सही होता है, जो अदालतें फैसला करती हैं लेकिन मैं आपसे पूछता हूं कि अल्लाहताला का भी कोई कानून आप मानते हैं या नहीं ?

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सईद: क्यों नहीं मानता हूं? मैं तो जिहादी हूं.

वैदिक: क्या अल्लाहताला बेकसूरों की हत्या का जायज़ मान लेगा? उसकी अदालत में तो हर जुर्म की सजा मिलती है. अल्लाहताला सब कुछ जानता है. उससे आप कुछ छुपा नहीं सकते. उसकी अदालत में आप क्या जवाब देंगे?

सईद: मैं जिहादी हूं.

वैदिक: मैं तो ‘जिहादे-अकबर’ को मानता हूं. इसे उंचे जिहाद का मतलब तो मैं यही समझता हूं कि इसमें हिंसा (तश्द्दुद) की कोई जगह नहीं है.

सईद: आप फिर मुझ पर इल्जाम लगा रहे हैं? मेरा आतंकवाद (दहशतगर्दी) से कोई लेना-देना नहीं है. मैं हिंसा में विश्वास करता ही नहीं. मैं तो शुद्ध सेवा-कार्य करता हूं. स्कूल-पाठशालाएं (मदरसे) चलाता हूं, अनाथों की देखभाल करता हूं और देखिए अभी जो वजीरिस्तान से लाखों लोग भाग रहे हैं, उनकी सेवा सरकार से ज्यादा मेरे संगठन के लोग कर रहे हैं. आप चलें, खुद अपनी आंखों से देखें.

वैदिक: हो सकता है कि आप यह सब कुछ कर रहे हों लेकिन मुझे यह बताइए कि आखिर संयुक्तराष्ट्र संघ और अमेरिका ने आपके संगठन को गैर-कानूनी क्यों घोषित किया है? अमेरिका ने आपके सिर पर करोड़ों का इनाम क्यों रखा है? भारत सरकार ने आपके खिलाफ ठोस सबूत देकर कई दस्तावेज़ तैयार किए हैं. उन सबका आपके पास क्या जवाब है?

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सईद: (थोड़ा उत्तेजित होकर) जवाब क्या है? सारे जवाब मैं दे चुका हूं. क्या मेरे जवाबों से आप संतुष्ट नहीं हैं?

वैदिक: भारत के खिलाफ आप जबर्दस्त नफरत फैलाते हैं. मैंने खुद टीवी पर आपके भाषण सुने हैं.

सईद: और भारत जो हमारे कश्मीरी भाइयों की हत्या करता है, जो बलूचिस्तान और सिंध में दहशतगर्दी फैलाता है, वह कुछ नहीं? अफगानिस्तान में उसने कौंसुलेट के नाम पर 14 जासूसखाने खोल रखे हैं. भारत अफगानिस्तान को हमारे खिलाफ भड़काता है.

वैदिक: यह बिल्कुल गलत है. वहां हमारे 14 कौंसुलेट बिल्कुल नहीं है. हम उस देश की दोस्ताना मदद करते हैं. हिंदुस्तान की जनता आपके नाम से नफरत करती है. आपकी हर घर में निंदा होती है. मुंबई के रक्तपात को भुलाना मुश्किल है.

सईद: मैं तो हिंदुस्तानियों की यही गलतफहमी दूर करना चाहता हूं.

वैदिक: इसका तो एक ही तरीका है कि आप अपना जुर्म कबूल करें और उसकी उचित सजा मांगे. यह आपकी बहादुरी होगी और आप यह रास्ता नहीं अपना सकते हैं तो प्रायश्चित करें, माफी मांगें. जैसे कि हमारे यहां कथा है कि हत्यारे अंगुलिमाल ने बुद्ध के सामने और डाकू वाल्मीकि ने नारद मुनि के सामने प्रायश्चित किया था.

सईद: (थोड़ी ऊंची आवाज़ में) मैंने जब कोई जुर्म ही नहीं किया तो इन सब बातों का सवाल हीं नहीं उठता. (थोड़ी देर चुप्पी)

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सईद: यह बताइए कि यह नरिन्दर मोदी कैसा आदमी है? इसका आना समूचे दक्षिण एशिया (जुनूबी एशिया) के लिए खतरनाक नहीं है?

वैदिक: इसमें शक नहीं कि नरेंद्र मोदी बहुत सख्त आदमी हैं लेकिन मोदी साहब ने अपने चुनाव-अभियान में किसी मुल्क के खिलाफ कुछ नहीं बोला. इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ कुछ नहीं बोला. पुरानी बातों को छोडि़ए. आगे बढ़िए. मोदी अब भारत के वज़ीरे-आजम हैं. उनकी जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है. देखिए, आते से ही मोदी ने अपनी शपथ-विधि में पड़ोसी देशों और खासकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को बुलाया. क्या किसी अन्य भारतीय प्रधानमंत्री ने पिछले 67 साल में किसी पाक पीएम को बुलाया?

सईद: क्या बुलाया? बुलाकर मोदी ने उसे बेइज्जत कर दिया?

वैदिक: कैसे?

सईद: आपकी विदेश सचिव औरत ने कहा कि मोदी ने मियां नवाज़ को डांट लगाई?

वैदिक: मैंने आपके वजीरे-आजम मियां नवाज़, आपके विदेश मंत्री और विदेश सचिव से भी यह पूछा तो उन्होंने ऐसी किसी बात से साफ इंकार किया. यह तो सिर्फ मीडिया की करतूत है.

सईद: हो सकता है लेकिन पाकिस्तान में तो हम सभी यही समझ रहे हैं?

वैदिक: हम मानते हैं कि भारत-पाक संबंधों की राह में आप सबसे बड़े रोड़े हैं. ज़रा संबंध सुधरते हैं कि कोई न कोई आतंकवाद की घटना घट जाती है.

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सईद: मैं बिल्कुल भी रोड़ा नहीं हूं. आपकी यही गलतफहमी दूर करने के लिए मैं एक बार भारत आना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि दोनों मुल्कों के संबंध (ताल्लुकात) अच्छे बनें. हम दोनों मुल्कों की तहजीब एक-जैसी है. मैं भारत के किसी बड़े जलसे में भाषण (तकरीर) देना चाहता हूं.

वैदिक: मुझसे पाकिस्तान में बहुत-से लोगों ने कहा कि मोदी साहब खुद पाकिस्तान क्यों नहीं आते? अगर आएं तो आप क्या पत्थरबाजी करवाएंगे, प्रदर्शन करेंगे, विरोध करेंगे?

सईद: (थोड़ा रुककर) नहीं, नहीं, हम उनका स्वागत (इस्तकबाल) करेंगे!

वैदिक: मैं तो उल्टा समझ रहा था?

सईद: क्या आपको हम मुसलमानों की मेहमाननवाजी के बारे में पता नहीं है? अगर हमारी सरकार उन्हें बुलाएगी तो वे हमारे मेहमान होंगे.

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