कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) में सुरक्षा की बड़ी खामी सामने आई है. बताया गया कि भारत के पहले स्वदेशी विमानपोत आईएनएस विक्रांत से कुछ कम्प्यूटर हार्डवेयर चुरा लिए गए. जब चार कम्प्यूटरों को नष्ट किया जा रहा था तो चार हार्ड डिस्क, रेंडम एक्सेस मेमोरी (RAM) और प्रोसेसर कथित तौर पर चोरी हो गए. ये सभी विमानपोत पर इंस्टॉल थे.
पुलिस ने कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड की ओर से शिकायत मिलने के बाद एफआईआर दर्ज की है. देश में निर्मित होने वाले इस पहले विमानपोत पर 2009 में काम शुरू हुआ था और इसे 2021 तक कमीशन किए जाने का लक्ष्य है.
केरल के डीजीपी लोकनाथ बेहरा ने इंडिया टुडे को बताया कि कोचीन शिपयार्ड में चोरी की जांच के लिए स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम बनाई गई है. हालांकि बेहरा ने इसे सुरक्षा में सेंध मानने से इनकार किया.
कोचीन शिपयार्ड भारत में पोतों के निर्माण और रखरखाव के लिए सबसे बड़ा केंद्र है. इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) पर है, लेकिन INS विक्रांत ने पोत की सुरक्षा के लिए अपनी तरफ से भी इंतजाम कर रखे हैं. पोत के ऊपर CISF के दो सशस्त्र गार्ड हमेशा तैनात रहते हैं. सूत्रों ने बताया कि CISF की जिम्मेदारी समुद्र की ओर से किसी भी संभावित हमले को रोकना है. लेकिन जो चीज़ें चोरी हुईं वो पोत के अंदर से हुई, इन पर CISF का कोई नियंत्रण नहीं है.
शिपयार्ड में 4000 कर्मचारी काम करते है. आतंरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी DRS के जिम्मे है. शक है कि चोरी के पीछे किसी इनसाइडर का हाथ हो सकता है. पुलिस, CISF और इंटेलिजेंस टीमें मिलकर मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि चोरी की गई चीज़ें छोटी होने की वजह से आसानी से छुपा कर कोई भी ले जा सकता था. शिपयार्ड के परिसर में सीसीटीवी कैमरे तैनात हैं, लेकिन आईएनएस पर ऑनबोर्ड सर्विलांस सेंसर्स फिट नहीं है.
INS विक्रांत के समुद्र में ट्रायल फरवरी 2021 में शुरू होने की उम्मीद है. इसके तैनात होने के बाद भारत का नाम अमेरिका, इंग्लैंड, रूस, फ्रांस और चीन जैसे विमानपोत निर्माण करने वाले देशों में शामिल हो जाएगा.