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‘शाही स्नान’ पर श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए तैयार हरिद्वार

महाकुंभ के पहले ‘शाही स्नान’ में भाग लेने के लिए हजारों श्रद्धालु पहले ही हरिद्वार पहुंच चुके हैं जबकि शुक्रवार को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर इसमें एक लाख से अधिक साधुओं के भाग लेने की संभावना है जिनमें भभूतधारी नगा साधु भी शामिल होंगे.

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महाशिवरात्रि और महाकुंभ का संयोग, आशा पैदा करने का पर्व और निराशा को दूर करने का पर्व. मान्यता है कि इस दिन दिव्य शक्तियां साकार होती हैं और खुद 33 करोड़ देवी-देवता  महाकुंभ की नगरी हरिद्वार में विद्यमान रहते हैं. इस आस्था के महाकुंभ के लिए देश के कोने-कोने से लोग हरिद्वार पहुंचे हैं. शाही स्नान के लिए पहाड़ों की गुफाओं से साधु-संत भी हरिद्वार पहुंचे हैं.

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खास तौर पर महाकुंभ के प्रथम शाही स्नान की एक डुबकी भक्तों के तन मन और सीधे स्वर्ग के द्वार खोल देती है.वैसे तो हरिद्वार के सभी घाटों पर स्नान करना फलदायी होता है लेकिन कुछ घाट ऐसे हैं जहां ईश्वर का विशेष आशीर्वाद बरसता है.

इस बार महाकुंभ में कुल 11 स्नान पर्व हैं जिसमें तीन शाही स्नान हैं. वैसे तो इस दौरान हरिद्वार के सभी घाट भक्तों से पटे रहते हैं लेकिन पांच घाट ऐसे हैं जहां स्नान करना बेहद पुण्यदायी माना जाता है. वे घाट हैं ब्रह्म कुंड, नारायणी स्रोत, कुशावर्त, रामघाट, और विष्णु घाट.

इन पांच घाटों में सबसे प्रमुख माना जाता है ब्रह्म कुंड घाट को , जिसे हर की पैड़ी भी कहा जाता है. कहते हैं यहां स्नान करने से करोड़ों जन्मों का पुण्य फल मिल जाता है क्योंकि यहीं पर अमृत कुंभ से अमृत की बूंदें छलक कर गिरी थीं। यहां स्नान करने से धर्म के साथ अर्थ, काम, मोक्ष चारों की  प्राप्ति हो जाती है.

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प्रशासन ने पवित्र स्नान के दौरान किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए शहर को किले में तब्दील कर दिया है क्योंकि महाशिवरात्रि (भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह के दिन) पर लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाएंगे.

सूत्रों के अनुसार केंद्रीय अर्धसैनिक बलों सहित लगभग 15 हजार सुरक्षाकर्मी शुक्रवार के दिन तैनात होंगे जो भीड़ को नियंत्रित करने के साथ ही शरारती तत्वों पर भी कड़ी नजर रखेंगे. शहर के विभिन्न भागों में चौकियां पहले ही स्थापित की जा चुकी हैं. प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि आम लोगों के रात 12 बजे से स्नान शुरू कर देने की उम्मीद है जबकि 13 अखाड़ों के लिए निर्धारित समय सुबह 11 बजे से है.

{mospagebreak}सुबह 11 बजे पहला अखाड़ा जूना अखाड़ा शाही स्नान करेगा. जूना अखाड़े के साथ ही अग्नि अखाड़ा और आवाहन अखाड़ा भी स्नान करेंगे. तीनों अखाड़ों के बाद महानिर्वाणी अखाड़ा और अटल अखाड़ा स्नान करेंगे. दोनों अखाड़ों के स्नान के बीच एक घंटे का अंतराल रखा जायेगा. एक अखाड़े के बाद दूसरे अखाड़े के स्नान के लिये घाटों को हर बार धुलाई और सफाई के लिये बंद किया जायेगा जिससे आम श्रद्धालुओं को 12 फरवरी को सुबह 10 बजे के बाद से सायं छह बजे तक हरकी पैड़ी पर स्नान का मौका नहीं मिल पायेगा लेकिन अखाड़ों के साथ आने वाले अखाड़ों के भक्त गण अपने गुरूजनों के साथ स्नान कर सकेंगे.

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अखाड़ों के साथ स्नान करने वालों को बाकायदा अखाड़े से अनुमति प्राप्त करनी होगी. व्यवस्थाओं की मुश्किलों से बचने के लिये आम जनता रात 12 बजे से ही स्नान शुरू कर देगी और सुबह 10 बजे से पहले ही आम जनता से हरकी पैड़ी घाट खाली करवा लिये जायेंगे. पहले शाही स्नान पर केवल सात दशनाम संन्यासी अखाड़े ही स्नान करेंगे. दो उदासीन और तीन बैरागी तथा एक निर्मल अखाड़ा अभी कुम्भ क्षेत्र में नहीं पहुंचा है, इस कारण इस बार अखाड़ा परिषद ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए हरिद्वार कुम्भ में चार शाही स्नान करने का फैसला लिया है.

{mospagebreak}अब 30 मार्च को होने वाला बैरागी अखाड़ों का स्नान भी शाही स्नान होगा जिसमें तमाम 13 अखाड़े शिरकत करेंगे. अर्धसैनिक बलों की देखरेख में होने वाले शाही स्नान के लिये हरकी पैड़ी पहुंचने वाले यात्रियों को अपने साथ सामान और बड़े पैकेट ले जाने की सख्त मनाही है. सामान के साथ हरकी पैड़ी जाने वाले यात्रियों को अन्य दूसरे घाटों पर ही स्नान करना होगा. रात्रि 12 बजे से पुलिस का मेला रूट परिवर्तन शुरू हो जायेगा.

अगले दो शाही स्नान 15 मार्च और 14 अप्रैल को क्रमश: सोमवती अमावसया और बैसाखी पर होंगे. महाकुंभ में 300 से अधिक स्नान घाट हैं. 117 घाट हरिद्वार में हैं जबकि लगभग 200 घाट ऋषिकेश में हैं. इस समय यहां के होटल और लॉज पूरी तरह बुक हैं जिन्होंने अपने रेट तीन से पांच गुना तक बढ़ा दिए हैं.

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हरिद्वारा में इससे पहले महाकुंभ 1998 में लगा था. कुंभ मेला भारत में चार जगहों हरिद्वार, इलाहाबाद, उज्जैन और नासिक में हर तीसरे साल आयोजित होता है.

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