देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने समलैंगिकों के मानवाधिकार की वकालत की है. एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, 'समलैंगिकों का भी अधिकार होता है और इसकी रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी बनती है.' हालांकि उन्होंने समलैंगिकों के संबंध में अपनी पार्टी के रुख पर ज्यादा कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. गौरतलब है कि बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का समर्थन किया था कि जिसमें आईपीसी की धारा 377 को सही ठहराया गया था, जो समलैंगिक शारीरिक संबंध को अपराध बताता है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बीजेपी का कहना था कि इस पर कोई भी फैसला सरकार को लेना है. आधिकारिक ऐलान के बाद ही पार्टी अपना रुख साफ करेगी. इस वक्त बीजेपी विपक्ष में थी जबकि अब वह सरकार में है.
समलैंगिक संबंध को लेकर बीजेपी में भी एक राय नहीं रही है. पार्टी के कई सीनियर नेता इस मुद्दे पर अलग-अलग तरह के बयान देते रहे, इसके बाद तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने समलैंगिक संबंध को अप्राकृतिक करार दिया था. हालांकि मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का समर्थन किया था जिसमें समलैंगिक संबंध को कानूनी तौर पर सही ठहराया गया था.