सहयोगी पार्टियों के नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) से नाराज होने और साथ छोड़ने के बीच अकाली दल से भारतीय जनता पार्टी के लिए राहत की खबर है. केंद्रीय मंत्री और अकाली नेत्री हरसिमरत कौर बादल ने बीजेपी की जमकर तारीफ की है.
हरसिमरत ने कहा कि पिछले चार सालों से एनडीए बेहतर काम कर रही है और सभी सहयोगी पार्टियां एनडीए के साथ हैं. लेकिन टीडीपी के साथ क्या हुआ, मामला क्यों नहीं सुलझाया गया, इसे लेकर केवल बीजेपी और टीडीपी ही जवाब दे सकती है. मैं इस पर कैसे बोल सकती हूं. इस पर तो बीजेपी वालों से पूछिए. मेरे हिसाब से तो 4 साल तक बढ़िया गठबंधन चला है. गठबंधन पार्टियां जो होती हैं सबकी अलग-अलग आइडियोलॉजी होती है. हम लोग देश के हित के लिए इकट्ठा होते हैं. टीडीपी 4 साल हमारे साथ रही है. अब उनका सेंटर के साथ क्या प्रॉब्लम है. यह वही कमेंट कर सकते हैं.
हरसिमरत ने कहा कि अकाली दल मजबूती के साथ एनडीए के साथ खड़ा है. हम पुराने सहयोगी हैं और हमारा गठबंधन बहुत पुराना है. हम हर अच्छे-बुरे समय में एक दूसरे के साथ खड़े रहे हैं. हां, हर एक पार्टी की सोच और उनके सिद्धांत अलग होते हैं. आज पंजाब का हित है कि हिंदू सिख एकता के लिए दोनों पार्टी इकट्ठे रहें. क्योंकि पाकिस्तान हमारे सिर पर खड़ा है. पंजाब अगर शांत है तो देश शांत है. क्योंकि यह दिल्ली के बहुत पास में है. और यह एक बहुत बड़ा स्टेट है जो किसी भी चीज को लेकर लड़ाई लड़ सकता है. हम पंजाब के हित के लिए इकट्ठे हैं.
हरसिमरत कौर ने आगे कहा, जहां तक किसानों का मुद्दा रहा है इस साल किसानों को बजट में बहुत खास तरजीह दी गई है. लेकिन किसानों के बुरे हालात पिछले 4 साल में पैदा नहीं हुए यह पिछले 70 सालों से ऐसा हुआ है. आज उनकी गलत नीतियों के कारण ऐसा हुआ है.
भाजपा के पक्ष में हरसिमरत कौर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब शिवसेना एनडीए से नाराज है, टीडीपी ने गठबंधन से समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया है. यही नहीं टीडीपी ने एनडीए के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा भी कर दी है.
हालांकि, शुक्रवार को हंगामे की भेंट चढ़े संसद में यह अविश्वास प्रस्ताव पेश नहीं हो सका. अब सोमवार को टीडीपी इस प्रस्ताव को पेश करने की कोशिश करेगी. चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी एनडीए से अलग हो गई है. आंध्रप्रदेश को विशेष दर्जा ना मिलने से नाराज़ टीडीपी ने शुक्रवार सुबह ये बड़ा फैसला लिया.
वहीं, शिवसेना ने बीजेपी से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि बीजेपी घमंड में डूब चुकी है. उसे अपने सहयोगियों की चिंता नहीं है. यही कारण है कि सहयोगी पार्टियां गठबंधन से अलग हो रही हैं. आशंका जताई जा रही है कि शिवसेना भी एनडीए से अलग रास्ता तय कर सकती है. बता दें कि टीडीपी से पहले जीतन राम मांझी भी पार्टी समेत एनडीए से अलग हो गए थे.