महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव परिणामों के शुरुआती रुझानों के बाद यह बात साफ हो गई है कि नरेंद्र मोदी की राजनीतिक ताकत वैसी ही है जैसी लोकसभा चुनाव में थी. उन्होंने दोनों राज्यों में जबरदस्त चुनाव प्रचार किया और बड़े पैमाने पर रैलियां कीं. दिलचस्प है कि यह सब ऐसी स्थिति में हुआ, जब बीजेपी ने दोनों राज्यों ने अपने सीएम उम्मीदवार को लेकर अभी तक कोई घोषणा नहीं की है.
पीएम मोदी ने महाराष्ट्र में 27 बड़ी रैलियां कीं. उन्होंने पश्चिमी महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, कोंकण और विदर्भ में चुनावी रैलियों को संबोधित किया. उनकी रैलियों में भारी तादाद में लोग आए और उनकी बातें सुनीं. मोदी ने ग्रामीण इलाकों में जाकर प्रचार किया और इसका फल उन्हें मिलता दिख रहा है. उनके प्रचार की यह ताकत थी कि बीजेपी ने कांग्रेस और एनसीपी के कई किले ध्वस्त कर दिए. ग्रामीण महाराष्ट्र में कुल 129 विधान सभा सीटें हैं और 288 सीटों वाले सदन में इनका बहुत महत्व है.
बीजेपी इस चुनाव में अकेले लड़ी. लेकिन उसके बावजूद उसका प्रदर्शन शानदार कहा जाएगा, क्योंकि महाराष्ट्र में पार्टी हमेशा से शिवसेना की सहयोगी पार्टी ही रही. लेकिन इस बार उसने अपने दम पर यह चुनाव लड़ा. 2009 में बीजेपी ने 119 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 46 सीटों पर विजय मिली.
जानकारों का मानना है कि ये परिणाम बीजेपी के पक्ष में तो हैं लेकिन कांग्रेस और एनसीपी के गिरते प्रभा का सूचक हैं. जनता ने कांग्रेस को बुरी तरह नकार दिया है और यह बात एनसीपी ने पहले ही ताड़ ली थी और उसने कांग्रेस को मंझधार में छोड़ दिया.
अब शिवसेना वहां दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. देखना है कि सत्ता में साझेदारी के लिए उद्धव ठाकरे क्या शर्तें रखते हैं. वैसे एनसीपी बीजेपी को समर्थन देने के लिए उत्सुक दिखती है.