हरियाणा में जाटों को अपने एक चौथाई से अधिक वोट बैंक के रूप में देखने वाले राजनीतिक नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर खापों यानी जातीय परिषदों का समर्थन करना शुरू कर दिया है.
हाल ही में एक ही गौत्र में विवाहों के खिलाफ फैसला देने के खापों के फैसले को नेताओं ने सही ठहराया है और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि निकाय और पंचायत चुनाव करीब आ रहे हैं, ऐसे में किसी भी राजनीतिक दल को जाटों की नाराजगी महंगी पड़ सकती है.
कुरूक्षेत्र से कांग्रेसी सांसद नवीन जिंदल ने न केवल रविवार को कैथल में खाप महापंचायत में शिरकत की बल्कि यह कहते हुए इन पंचायतों को सही भी ठहराया कि वे सालों से चल रही उनकी समस्याओं का समाधान कर समाज की सेवा कर रहे हैं.
उनके निर्वाचन क्षेत्र में खापों की जबरदस्त पकड़ है और इसी क्षेत्र के कैथल जिले के करौरा गांव में बबली (19) और मनोज (23) की नृशंस हत्या कर दी गयी थी. दोनों एक दूसरे से प्रेम करते थे. उनके संबंधों को मान्यता नहीं मिल सकी क्योंकि उन्होंने एक गौत्र के नियम का उल्लंघन किया था जिसके तहत शादीशुदा दंपति भी बहन भाई घोषित किए जाते हैं. {mospagebreak}
जिंदल ने पिछले दिनों कहा, ‘वे (खाप) मेरे निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा हैं और मुझे उनकी बात सुननी होगी.’ हालांकि उन्होंने साथ ही कहा कि कानून का उल्लंघन करने वाली किसी भी कार्रवाई को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता. 40 वर्षीय जिंदल एक प्रमुख उद्योगपति हैं और अमेरिका से शिक्षा हासिल कर चुके हैं.
खापों के पक्ष में उनके विचारों ने हो सकता है बहुत लोगों को चौंका दिया हो लेकिन 75 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री और इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला के बयान ने दिखा दिया है कि कोई भी राजनीतिक दल हरियाणा में जाटों की नाराजगी मोल नहीं ले सकता. चौटाला ने बयान दिया था कि उनकी पार्टी हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन के लिए प्रस्ताव लाएगी. मौजूदा अधिनियम समान गौत्र में विवाह की समस्या का समाधान नहीं करता जो विभिन्न खापों की प्रमुख मांग है.
चौटाला ने कहा, ‘इस संबंध में हम विधानसभा में एक प्रस्ताव लाएंगे. यदि सरकार कोई संशोधन विधेयक लाती है तो मेरी पार्टी उसका समर्थन करेगी.’ एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेता तथा छह बार रिवाड़ी से विधायक रह चुके अजय यादव भी खापों के समर्थन में दिखे. उन्होंने कहा कि इसका ‘वैज्ञानिक कारण’ है कि एक ही गौत्र में शादी क्यों नहीं होनी चाहिए. मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा भी खुद जाट हैं और वह समय समय पर खापों के फतवों से पैदा गर्मी को यह कहकर शांत करने का प्रयास करते रहे हैं कि कानून अपना काम करेगा और किसी को कानून हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी.