अपने विवादित फैसलों के लिए बदनाम खाप पंचायतों में अब सामाजिक कुरीतियों के खात्मे को लेकर चर्चा होने लगी है. ऐसी ही बानगी तब देखने को मिली जब हरियाणा के खेड़ा खाप पंचायत ने फैसला किया कि जाति की जगह गांव के नाम को सरनेम की तरह इस्तेमाल किया जाए.
Udayveer Barsola, Spokesperson of Khera khap in Jind district: The Khap took the decision to do away with the poison of caste system. We suggested to people to not use caste as surnames, instead use their village names as their surnames. #Haryana pic.twitter.com/efUjGMfVYS
— ANI (@ANI) July 22, 2019
खपा पंचायत के प्रवक्ता उदयवीर बरसोला ने हरियाणा के जींद में हो रही एक बैठक के दौरान कहा कि पंचायत जाति प्रथा के जहर को खत्म करने के लिए यह फैसला ले रही है. उन्होंने कहा है कि जाति प्रथा के दंश से बचने के लिए लोग अपने नाम के आगे अपनी जाति को सरनेम में इस्तेमाल न करें. उन्होंने लोगों से अपील की है कि अपनी जाति की जगह लोग अपने अपने गांव के नाम को सरनेम की तरह इस्तेमाल करें.
खाप पंचायत अपने विवादित फरमान के लिए सुर्खियों में रही है लेकिन ऐसा नहीं है कि पंचायत के आदेश हमेशा गलत ही होते हैं. कभी कभी उनके आदेश समाज की भलाई के लिए भी होते हैं. सांगवान की खाप पंचायत तब सुर्खियों में आ गई थी जब खुले में शराब पीने और डीजे बजाने पर रोक लगाई थी. इतना ही नहीं, शादी या अन्य कार्यक्रमों में खुलेआम फायरिंग पर भी रोक लगा दी गई थी. पंचायत का यह फरमान दादरी के गांव खेड़ी बूरा में सामने आया था.