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जानिए हमेशा गुलजार रहने वाले हौज खास विलेज में क्यों है सन्नाटा

यहां एक बड़े क्लब के मालिक मनन का कहना है, "हमारी बिल्डिंग में 16 नाइट क्लब्स चलते है और हम हर विपरीत स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. पब्स में माकूल इंतजाम हैं. फायर सिलेंडर हो, फायर स्प्रिंकलर हो, इस अकेली बिल्डिंग में 1 लाख लीटर पानी स्टोरेज का इंतजाम है. कौन चाहेगा कि उसका खुद का बिजनेस बर्बाद हो जाए.''

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हौजखास में कुल मिलाकर 40 से 45 पब्स चलते हैं.
हौजखास में कुल मिलाकर 40 से 45 पब्स चलते हैं.

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दिल्ली में युवाओं के मौज मस्ती का केंद्र हौज खास विलेज अब जल्द ही वीरान हो जायेगा. यहां हर वीकेंड पर लगने वाली रौनक जल्द ही गायब हो जायेगी. और जल्द ही यहां हर रात गूँजने वाला संगीत भी फीका पड़ जायेगा. जी हां, हौज़ खास विलेज के नाइट क्लब्स और फूड जॉइंट्स जल्द ही बंद कर दिए जाएंगे. फायर और सेफ्टी नॉर्म को अनदेखा कर चल रहे सभी क्लब्स और पब्स को अब कोर्ट का नोटिस मिल चुका है और जल्द ही इन पर ताले लगा दिए जाएंगे.

यहां चलने वाले फूड जॉइंट्स और नाइट क्लब्स में से 19 को पहले ही बंद कर दिया गया है और 30 और ऐसी जगहों पर जल्द ही गाज गिरने वाली है. एसोसिएशन के प्रेजिडेंट सतिंदर शर्मा का कहना है, ''हमारे पास पूरे लाइसेंस है, यहां 39 बड़े पब्स है, जिनसे हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है. इतना पैसा इतनी मेहनत लगी है, हमें यूं ही बंद कर देना सही नहीं होगा. लोकल अथॉरिटीज के साथ बैठ कर इस मामले में बीच का रास्ता निकालने के लिए हम तैयार हैं. कमियों को ठीक कीजिएगा.'

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बता दें कि हौज खास विलेज मास्टर प्लान बनने के पहले ही बसा हुआ है. यहां ज्यादातर इमारतें पुरानी हैं जिनके पुराने स्वरूप को बरकरार रखते हुए आधुनिक नाइट क्लब्स की शक्ल दी गई है. यही इस जगह की खासियत है जिससे दूर दराज से लोग यहां परिवार और दोस्तों के साथ यादगार लम्हों के लिए आते हैं. यही पुरानी बनावट इनके लिए मुसीबत बनी हुई है. यहां कुल मिलाकर 40 से 45 पब्स चलते है. जिन पर 4500 से 5000 लोग निर्भर है. बंदी के चलते उनकी रोजी रोटी पर भी बन आयी है."

प्रेजिडेंट एसोशिएसन के सतिंदर शर्मा ने कहा कि किस देश में पुरानी इमारतें नहीं हैं. रोम, रूस, अमेरिका और हर जगह इन इमारतों को एक धरोहर की तरह रखा जाता है. हौज खास में भी पुरानी बिल्डिंग्स में हमारे पब्स है. अगर कोई समस्या है तो उसका समाधान निकाला जा सकता है, न कि उसको बंद कर दिया जाय.

सेफ्टी नॉर्म्स हो या सैनिटेशन का मुद्दा हर तरफ से घिरे रेस्त्रां मालिकों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. यहाँ चलने वाले क्लब्स में ज्यादातर किराये पर हैं जिनको हर महीने 8 से 15 लाख रुपये किराया देना पड़ता है. इसके अलावा रखरखाव के साथ-साथ कर्मचारियों की तनख्वाह भी देनी होती है. किसी ने बैंक से लोन ले रखा है तो कोई घर गिरवी दे कर क्लब चला रहा है.

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यहां एक बड़े क्लब के मालिक मनन का कहना है, "हमारी बिल्डिंग में 16 नाइट क्लब्स चलते है और हम हर विपरीत स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. पब्स में माकूल इंतजाम हैं. फायर सिलेंडर हो, फायर स्प्रिंकलर हो, इस अकेली बिल्डिंग में 1 लाख लीटर पानी स्टोरेज का इंतजाम है. कौन चाहेगा कि उसका खुद का बिजनेस बर्बाद हो जाए.''

बुरे हालात में फंसे में रेस्त्रां मालिकों को न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. लेकिन, अक्सर गंभीर आरोपों का केंद्र रहे हौज खास विलेज में क्या दोबारा रौनक लौट पाएगी. यह एक बड़ा सवाल है.

 

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