इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कुंडा में मारे गए पुलिस अधिकारी जियाउल हक की पत्नी और भाई को नौकरी दिए जाने को लेकर सवाल खड़े करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि आश्रित परिवार के सिर्फ एक व्यक्ति को नौकरी दिए जाने की नीति में कोई बदलाव हुआ है या नहीं है.
न्यायमूर्ति एपी साही ने बुधवार को राज्य सरकार से कहा कि वह स्पष्ट करे कि उसकी इस नीति में कोई बदलाव किया गया. साथ ही वह यह भी बताये कि अगर ऐसा नहीं है तो किस कानून के तहत परिवार के दो सदस्यों को नौकरी दी गई.
अदालत ने सीमा देवी नामक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. गौरतलब है कि कुंडा डिप्टी एसपी जिया उल हक हत्याकांड पर गरमाये सियासी माहौल के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने शहीद डीएसपी की पत्नी और भाई को सरकारी नौकरी देने का फैसला किया था.
क्या है मामला
प्रतापगढ़ जिले में बलीपुर गांव में शनिवार शाम ग्राम प्रधान और उनके भाई की हत्या की गई थी. इसके बाद भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया था. इस हमले में डीएसपी की मौत हो गई. आठ पुलिसकर्मी भी घायल हो गए. पुलिस ने राजा भैया के खिलाफ केस जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद की शिकायत के बाद दर्ज किया था.
जियाउल हक की पत्नी ने पुलिस को चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में साफ-साफ लिखा है कि डिप्टी एसपी जियाउलहक की हत्या राजा भैया के आदमियों ने करवाई है. इतना ही नहीं चिट्ठी में ये भी लिखा गया है कि हत्या से पहले जिया उलहक के साथ मारपीट की गई, और बाद में उन्हें तमंचे से गोली मार दी गई. मृतक डिप्टी एसपी की पत्नी के मुताबिक पिछले कई दिनों से जियाउल हक को धमकिया मिल रही थी.