दिल्ली के कई नामचीन स्कूल में नर्सरी दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो गई है. जबकि दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि इस मामले पर फैसला न होने तक शैक्षणिक सत्र 2013-14 के दाखिले नहीं शुरू किए जाएं. बेंच एक एनजीओ द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें बताया गया था कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय और कशक्षा निदेशालय ने स्कूलों को अपने मुताबिक दाखिले के मापदंड तय करने की अनुमति दी है. कोर्ट ने शिक्षा निदेशालय को भी लताड़ लगाई.
वर्तमान में नर्सरी में दाखिले प्वाइंट सिस्टम के आधार पर हो रहे हैं. यह सिस्टम वर्ष 2007 में गांगुली कमेटी के सिफारिशों के आधार पर चल रहा है. इस सिस्टम के मुताबिक कमेटी द्वारा कुछ श्रेणियां तय की गईं हैं जिसके आधार पर बच्चे को अंक दिए जाते हैं. लेकिन निजी स्कूलों ने प्रकिया को अपने मुताबिक शुरू कर दिया है.
स्कूलों ने श्रेणियों में भी बदलाव के साथ-साथ अंक को भी अपने तैयार मापदंडों के हिसाब से रखा है. स्कूलों की इन मनमानी से अभिभावकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
क्या हैं ऑर्डर
चीफ जस्टिस डी मुरुगसन और वीके जैन के बेंच ने कहा, 'नर्सरी दाखिलों की जनहित याचिका पर हमारे ऑर्डर बहुत स्पष्ट हैं. यह ऑर्डर 2013-14 के शैक्षणिक सत्र के दाखिलों पर भी लागू होंगे. कोई स्कूल कोर्ट के फैसले न आने तक प्रक्रिया शुरू नहीं कर सकते.' निजी स्कूल ने कोर्ट को नर्सरी दाखिला प्रक्रिया और बच्चों की पहली सूची जारी होने की तारीफ 15 फरवरी बताई जिसके बाद कोर्ट ने मामले पर अवलोकन किया. कोर्ट ने एचआरडी और शिक्षा निदेशालय द्वारा दी गई छूट पर हैरानी जाहिर की. कोर्ट ने कहा स्कूलों को दाखिलों को लेकर इतनी छूट नहीं दी जा सकती, यह आरटीई अधिनियम के खिलाफ है.
कोर्ट ने शिक्षा निदेशालय को लताड़ लगाते हुए कहा, शिक्षा निदेशालय आरटीई के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं कर सकते. स्कूल को दाखिले के मापदंड तैयार करने की छूट देने से आरटीई का उद्देश्य खो जाएगा.
प्रतिक्रिया
स्कूल एक्शन कमेटी की वकील शोभा कहती हैं, अलग-अलग स्कूलों के अलग उद्देश्य हैं. दाखिलों को लेकर स्कूल के मापदंड यदि ठीक हैं तो इन्हें चलने देने में कोई बुराई नहीं है. 23 नवंबर 2010 मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने दाखिलों को लेकर आरटीई अधिनियम के तहत दिशा-निर्देश जारी किए थे. इन दिशा-निर्देशों में कहा गया था कि स्कूल दाखिलों के लिए अपने मापदंड तैयार कर सकते हैं. इसके बाद शिक्षा निदेशालय ने भी गाइडलाइन जारी किए थे.
24 जनवरी को कोर्ट ने प्वाइंट सिस्टम पर आपत्ति जताई और लॉटरी ड्रा के द्वारा दाखिलों को ज्यादा सही बताया. लेकिन कोर्ट की इन बातों से निजी स्कूल असंतुष्ट हैं. दक्षिण दिल्ली के एक स्कूल प्राचार्य कहती हैं कि कई सालों के बाद अब जाकर प्वाइंट सिस्टम सेट हो पाया है. अभिभावकों को भी इसकी समझ हो रही है.
दाखिलों के इस सिस्टम पर कोर्ट ने भी अनुमति दी थी लेकिन अचानक सिस्टम को बदलने का कारण समझ नहीं आ रहा है. बहरहाल दाखिलों की प्रक्रिया को लेकर अभिभावकों और स्कूल दोनों में कंफ्यूजन है. निजी स्कूल कोर्ट के फैसले से असंतुष्ट है तो अभिभावक स्कूलों के मापदंडों को लेकर उलझे हुए हैं.