क्या लश्कर के आतंकी हेडली और तहव्वुर राणा को भारत का मल्टीपल एंट्री वीजा देने में राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया गया? ये सवाल अब बड़ा हो चुका है क्योंकि कटघरे में आ गया है शिकागो का वाणिज्य दूतावास.
खबर है कि राणा-हेडली के वीसा से जुड़े दस्तावेज गायब हैं. अब सरकार ने इस बारे में रिपोर्ट तलब की है. राणा और हेडली ने मल्टी एंट्री वीसा पर देश के कई शहरों का दौरा किया था. हेडली ने कई संवेदशनील ठिकानों की रेकी भी की थी. ऐसे में देश के लिए ये जानना जरूरी है कि दोनों को मल्टी एंट्री वीसा देने में कहीं राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता तो नहीं हुआ. इस बीच विदेश सचिव ने ये मंशा भी जाहिर कर दी है कि भारत खुद भी राणा और हेडली से पूछताछ करना चाहेगा.
गौरतलब है कि तहव्वुर राणा और डेविड कोलमन हेडली इस वक्त एफबीआई की गिरफ्त में है और अमेरिकी कानून के तहत भारतीय जांच एजेंसिय़ों को अब तक दोनों से पूछताछ की इजाजत नहीं मिली है. ऐसे में सवाल लाजिमी हैं कि जब एफबीआई 26/11 के आतंकी कसाब से पूछताछ कर सकती है तो भारत राणा-हेडली से क्यों नहीं?
उधर शिकागो की अदालत ने मुंबई हमलों की साजिश के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा की ज़मानत अर्जी खारिज कर दी है. अदालत ने राणा को तब तक हिरासत में रखने का आदेश दिया है, जब तक मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती. शिकागो में मामले की सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि राणा को छोड़ा नहीं जा सकता क्योंकि 30 साल की कैद से बचने के लिए वो कहीं भी भाग सकता है. अदालत ने कहा कि राणा के हवाई उड़ान के जरिए देश से भागने का अंदेशा है और ये जोखिम नहीं उठाया जा सकता.