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सेरिडॉन समेत 328 दवाएं अब बाजार में नहीं बिकेंगी, लगा बैन

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए 300 से ज्यादा दवाइयों पर बैन लगा दिया है जो इंसानों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकते हैं. हालांकि यह प्रतिबंध 2 साल पहले लगाए गए थे जिसके खिलाफ कंपनियां कोर्ट चली गई थीं.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

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स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बुधवार को तत्काल प्रभाव से मानव उपयोग के उद्देश्य से 328 एफडीसी (फिक्स्ड डोज कांबिनेशन या निश्चित खुराक संयोजन) के उत्पादन, बिक्री या वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है.

इसके अलावा मंत्रालय ने कुछ शर्तों के साथ 6 एफडीसी के उत्पादन, बिक्री या वितरण को भी प्रतिबंधित कर दिया है. इस प्रतिबंध के कारण 1.18 लाख करोड़ के दवा उद्योग को करीब 1,500 करोड़ की चपत लगेगी.

इससे पहले, केंद्र सरकार ने 2016 के मार्च में औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत मानव उपयोग के उद्देश्य से 344 एफडीसी के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाया था. इसके बाद सरकार ने समान प्रावधानों के तहत 344 एफडीसी के अलावा 5 और एफडीसी को प्रतिबंधित कर दिया था.

हालांकि, इससे प्रभावित उत्पादकों या निर्माताओं ने देश के कई हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इस निर्णय को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट की ओर से 15 दिसंबर, 2017 को सुनाए गए फैसले में दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इस मसले पर दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड द्वारा गौर किया गया, जिसका गठन औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 5 के तहत हुआ था.

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इस बोर्ड ने इन दवाओं पर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी. दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने अन्य बातों के अलावा यह सिफारिश भी की कि 328 एफडीसी में निहित सामग्री का कोई चिकित्सीय औचित्य नहीं है और इन एफडीसी से मानव स्वास्थ्य को खतरा पहुंच सकता है.

बोर्ड की सिफारिश थी कि औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत व्यापक जनहित में इन एफडीसी के उत्पादन, बिक्री या वितरण पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक है.

6 एफडीसी के बारे में बोर्ड ने सिफारिश की कि इनके चिकित्सीय औचित्य के आधार पर कुछ शर्तों के साथ इनके उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाया जाए.

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