मिलावटी दवाओं के कारोबार पर नकेल कसने के लिए हेल्थ मिनिस्ट्री ने देश में पहली बार बड़े पैमाने पर एक अभियान शुरू किया है. जल्द ही इसके नतीजे सामने आने वाले हैं. मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने देशभर से 15 दवाइयों के नमूनों (मुख्य तौर पर एंटिबायोटिक दवाओं) का चुनाव किया है. इनमें से ज्यादातर दवाएं ऐसी हैं, जो रोजमर्रा में इस्तेमाल होती हैं.
इसके लिए राज्य सरकार के सहयोग से 1000 ड्रग इंस्पेक्टरों को ट्रेनिंग दे दी गई है. इसमें देशभर के बड़े और छोटे अस्पतालों के अलावा केमिस्ट से दवाओं के नमूने अचानक इकट्ठे किए जा रहे हैं.
आपको बता दें कि वर्ष 2009 मे हेल्थ मिनिस्टी ने एक सर्वे किया था, जिसमें पता चला था कि बाजार में मिलावटी दवाओं का प्रतिशत केवल 0.046 है. इसको लेकर काफी सवाल उठे थे, क्योंकि विशेषज्ञ मानते हैं कि बाजार में मिलावटी दवाएं धड़ल्ले से बिक रही हैं और मिनिस्टी इस बात को छुपा रही है या अनजान रहना चाहती है.
इसी के मद्देनजर इस बार के सर्वे मे काफी ध्यान रखा गया है. शहरों से लेकर गांवों में मौजूद अस्पतालों और केमिस्ट की दुकानों के साथ ही दवा बनाने नाली कंपनियों से भी दवा के नमूने लिए जा रहे हैं. अभी तक 62 ब्रैंड की दवाओं के 24136 नमूने लिए गए हैं. 30 दवा बनाने कंपनियों के अलावा 100 केमिस्ट की दुकानों से नमूने लिए जा चुके हैं.
यहां बता दें कि दवाओं की क्वालिटी को बरकरार रखने के लिए हाल ही में यूके के साथ हेल्थ मिनिस्टी ने एक एमओयू भी साइन किया है.