कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में आरोप तय करने पर बहस की सुनवाई दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को एक अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी.
बीजेपी नेता नितिन गडकरी ने एक अक्टूबर, 2012 को दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का एक मामला दर्ज कराया था. दिग्विजय सिंह ने बीजेपी सांसद अजय संचेती के साथ नितिन गडकरी के व्यापारिक संबंध होने का आरोप लगाया था. दिग्विजय ने गडकरी पर आरोप लगाया था कि संचेती को कोयला खदान आवंटन के एवज में उन्हें 490 करोड़ रुपये मिले थे.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बाद में संचेती को कोयला खदान का आवंटन रद्द कर दिया था. अपनी याचिका में गडकरी ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (मानहानि) और 500 (मानहानि के लिए सजा) के तहत मुकदमा चलाने की मांग की थी. अदालत में दर्ज कराए गए अपने बयान में गडकरी ने संचेती के साथ व्यापारिक संबंधों की बात खारिज की थी. उन्होंने यह भी कहा था कि दिग्विजय सिंह ने उनके खिलाफ पूरी तरह से झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए हैं.
गडकरी ने अदालत में कहा, 'दिग्विजय सिंह ने कहा था कि संचेती को कोयला खदान आवंटन के लिए मैं जिम्मेदार हूं जो कि झूठ है.' केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि दिग्विजय सिंह ने उनकी गरिमा कम करने, उन्हें बदनाम करने और छवि धूमिल करने के लिए उनके खिलाफ मानहानिकारक आरोप लगाए हैं. अदालत ने प्रथम दृष्टया सबूत दिग्विजय सिंह के खिलाफ पाते हुए 17 नवंबर, 2012 को उन्हें सम्मन जारी किया था. सम्मन का अनुपालन करते हुए दिग्विजय सिंह 21 दिसंबर, 2012 को न्यायालय में पेश हुए थे, जिसके बाद उन्हें जमानत दे दी गई थी.
- इनपुट भाषा