कश्मीर लॉकडाउन मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई. इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कश्मीर से जुड़े कुछ आंकड़े शीर्ष कोर्ट के सामने रखे. उन्होंने बताया कि इस साल घाटी में 365 आतंकवादी मारे गए हैं. कुल 71038 आतंकियों के घाटी में सक्रिय रहने की जानकारी थी.
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कोर्ट को बताया कि कश्मीर घाटी में 14,000 नागरिक भी मारे गए और 5,292 जवान शहीद हुए हैं. तुषार मेहता ने कहा कि कश्मीर में हालात पर काबू रखने के लिए कुछ पाबंदियां जरूरी हैं. कई अधिकार ऐसे हैं, जो कश्मीर के लोगों को पहली बार मिले हैं.
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 20,000 लोग जो आजादी के बाद पश्चिमी पाकिस्तान से आए थे, उनको भी नागरिकता का लाभ मिल रहा है. उन्होंने बताया कि हम सीमा पार आतंकवाद के शिकार हैं. आतंकवादी उन स्थानीय लोगों की मदद लेते हैं, जिनकी अलगाववादी मानसिकता है. इस दौरान तुषार मेहता ने कहा कि 5 अगस्त से जारी सख्ती में 17 अगस्त से ढील देनी शुरू कर दी गई थी.
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पांच अगस्त से ही घाटी में इंटरनेट सेवा बंद है, जिसके चलते आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वैसे यह पहली बार नहीं है, जब कश्मीर घाटी में इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई है.
इससे पहले सुरक्षा बलों के साथ आतंकियों की मुठभेड़ होने, स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शन करने और आतंकी हमले के मद्देनजर कई बार इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं पर पाबंदी लगाई जा चुकी है. फिलहाल कश्मीर में लगी पाबंदियों से कारोबारियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.