देश के कई इलाकों कें भारी बारिश और बाढ़ के चलते आपूर्ति बाधित होने से खाद्य मुद्रास्फीति में लगातार चौथे सप्ताह वृद्धि का रुख रहा और ग्यारह सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह बढ़कर 15.46 प्रतिशत पर पहुंच गई. इससे पिछले सप्ताह खाद्य मुद्रास्फीति 15.10 प्रतिशत थी.
समीक्षाधीन सप्ताह में मोटे अनाज, चुनिंदा सब्जियों और दूध की कीमत में तेज बढ़त दर्ज की गई. हालांकि अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बारिश के थमते ही कीमतों में नरमी आएगी. रेलीगेयर कैपिटल मार्केट्स के मुख्य अर्थशास्त्री जयशंकर का कहना है, ‘आपूर्ति प्रभावित होने से मांग और आपूर्ति के बीच अंतर पैदा हो गया है. देश के कई हिस्सों में बाढ़ आने से आपूर्ति बाधित हुई है जिससे कीमतें चढ़ रही हैं.’
उन्होंने कहा, ‘मेरा विश्वास है कि दिसंबर के अंत तक खाद्य मुद्रास्फीति इकाई अंक में आ जाएगी क्योंकि तब तक आपूर्ति सामान्य होने की उम्मीद है.’ दाल, चावल और गेहूं की कीमतें ऊंची होने से वार्षिक आधार पर मोटे अनाज की कीमतें 6.75 प्रतिशत ऊंची है. इस बीच दालें 4.01 प्रतिशत, गेहूं 9.21 प्रतिशत और चावल 5.52 प्रतिशत महंगी हैं. अन्य खाद्य वस्तुओं में दूध 23.41 प्रतिशत और फल 10.33 प्रतिशत तक ऊंचे हो गए है.
वार्षिक आधार पर सब्जियां भी औसतन 6.84 प्रतिशत महंगी हुईं. आलू की कीमत में 48.56 प्रतिशत तक की तेजी दर्ज की गई है. अर्थशास्त्रियों ने मुद्रास्फीति में बढ़त के रुख की वजह मूल्य सूचकांक की नयी सीरीज को भी बताया क्योंकि पुरानी सीरीज 1993-94 की कीमतों पर आधारित थी, जबकि नयी सीरीज 2004-05 की कीमतों पर आधारित है. बढ़ती महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह रेपो दर चौथाई प्रतिशत बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दिया, जबकि रिवर्स रेपो दर आधा प्रतिशत बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दिया.