उत्तराखंड के मशहूर स्की रिसॉर्ट ऑली में इतनी ज्यादा बर्फबारी हुई है कि सारा इलाका सफेद हो चुका है और बर्फ 4 फीट तक मोटी हो चुकी है. हालांकि पर्यटक इस बर्फबारी का जमकर मजा उठा रहे हैं. उधर देहरादून के कुछ इलाकों में 60 साल बाद बर्फबारी हुई है.
झमाझम बरसात तो हमने कई बार देखी है और सुनी है लेकिन उत्तराखंड के मशहूर स्की रिसॉर्ट ऑली में इन दिनों झमाझम बर्फबारी हो रही है. बेशक दूसरे हिल स्टेशनों में भारी बर्फबारी से हाल बेहाल है लेकिन ऑली में आसमान से बरसती सफेद खूबसूरती और धरती पर बिछी सफेद कालीन ने इसे जन्नत में तब्दील कर दिया है.
जोशीमठ से ऑली जाने का रास्ता पूरी तरह से बर्फ से ढक चुका है. हालांकि बर्फ की 3-4 फीट मोटी चादर से लोगों को दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है लेकिन विशेषज्ञ मान रहे हैं कि स्नो स्कीइंग के लिए ये सबसे सटीक समय है.
ऑली में तापमान दिसंबर के महीने में ही शून्य के नीचे जा चुका था लेकिन बर्फबारी नहीं हो रही थी. हालांकि अब कुदरत ने उसकी कसक जनवरी में पूरी तरह से खत्म कर दी है. कुदरत कि इस खूबसूरती के संग पर्यटक भी सब कुछ भुल बैठे हैं. समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई वाले इस इलाके में आस पास की सभी चोटियों ने बर्फ की मोटी चादर ओढ ली है लेकिन आने वाले दिनों मे बर्फपारी का ये सिलसिला यूं ही जारी रहा तो ऊंचाई वाले इन इलाकों में नेताओ को अगले विधानसभा चुनाव में वोटरों को रिझाने मे भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड सकता है.
ऑली में इस साल की पहली बर्फबारी साल के पहले दिन ही हुई थी लेकिन उसके बाद से आसमान से सफेद फाहों का गिरना बदस्तूर जारी है. ऑली मशहूर है अपने स्कीईंग स्लोप्स की वजह से और स्कीइंग के लिए इससे बेहतर मौका और नहीं मिल सकता है.
जोशीमठ से ऑली जाने का रास्ता पूरी तरह से बर्फ से ढक चुका है. हालांकि बर्फ की 3-4 फीट मोटी चादर से लोगों को दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है लेकिन विशेषज्ञ मान रहे हैं कि स्नो स्कीइंग के लिए ये सबसे सटीक समय है.
ऑली में तापमान दिसंबर के महीने में ही शून्य के नीचे जा चुका था लेकिन बर्फबारी नहीं हो रही थी. हालांकि अब कुदरत ने उसकी कसक जनवरी में पूरी तरह से खत्म कर दी है. कुदरत कि इस खूबसूरती के संग पर्यटक भी सब कुछ भुल बैठे हैं. समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई वाले इस इलाके में आस पास की सभी चोटियों ने बर्फ की मोटी चादर ओढ ली है लेकिन आने वाले दिनों मे बर्फपारी का ये सिलसिला यूं ही जारी रहा तो ऊंचाई वाले इन इलाकों में नेताओ को अगले विधानसभा चुनाव में वोटरों को रिझाने मे भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड सकता है.
क्या आपने कभी उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बर्फबारी की बात सुनी थी. यकीन करना मुश्किल है लेकिन देहरादून के कुछ इलाकों में भी कुदरत ने अपना करिश्मा दिखाया. राजपुर और किशन नगर इलाके में भी सुबह लोगों ने आंखें खोली तो हर ओर सफेद बर्फ की चादर को ही फैले हुए देखा. तापमान में अचानक आई गिरावट के बाद यहां भी बर्फ गिरी.
देहरादून में करीब 60 साल बाद बर्फबारी हुई है. यहां पिछली बार साल 1952 में बर्फ गिरी थी. बर्फबारी के बाद से ही यहां के लोग हैरान हैं. जाहिर सी बात है कि जब मैदानी और पठारी इलाकों में भी कुदरत का सफेद करिश्मा यूं प्यार बरसाएगा तो हैरानी भी होगी ही.