पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हुए सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका निभाने वाले अफसर को इनाम मिला है. लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ को प्रमोट कर दिल्ली में चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ बना दिया गया है.
ले. जन. दुआ ने बीते 31 अक्टूबर से ही औपचारिक तौर पर यह पद संभाल लिया है. गुरुवार को उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. गुरुवार को उन्होंने अमर जवान ज्योति जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी.
इससे पहले ले. जन. दुआ सामरिक तौर पर अहम सेना की चिनार कोर (15वीं कोर) के जनरल ऑफिसर कमांडिंग थे. सेना की यह यूनिट कश्मीर में नियंत्रण रेखा यानी एलओसी की रखवाली के लिए जिम्मेदार है.
दुआ पिछले साल 27 अगस्त को चिनार कोर के मुखिया बनाए गए थे. इस कार्यकाल के दौरान ले. जन. दुआ ने एलओसी पर सेना के तमाम ऑपरेशनों की कमान संभाली. कश्मीर में तैनाती के दौरान इन्होंने ही खुलासा किया कि घाटी में पत्थरबाजों की आड़ लेकर आतंकवादी सुरक्षा बलों पर फायरिंग करते हैं.
ये युवकों को रचनात्मक कार्यों में लगाए रखने के लिए जाने जाते हैं. हाल में कश्मीर में अशांति के दौरान इन्होंने कश्मीरी युवकों से शांति की अपील की. इनकी अपील का असर भी हुआ और तमाम स्थानीय युवा हिंसक झड़पों के दौरान घायल हुए सैनिकों की मदद के लिए आगे आए थे.
वैसे तो ले. जन. दुआ का सेना में 37 साल का करियर बेहद शानदार रहा है लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक की घटना उनकी वर्दी पर सबसे चमचमाता तमगा है. उरी हमले के जवाब में भारतीय सेना के कमांडो ने सितंबर में पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकवादियों के कई लॉन्चिंग पैड तबाह कर दिए थे.
डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज और नेशनल डिफेंस कॉलेज से पढ़ाई करने वाले सतीश दुआ की बतौर अफसर पहली तैनाती दिसंबर 1979 में जम्मू-कश्मीर लाइट इंफ्रैंट्री में हुई थी. ये सियाचिन में तैनात जम्मू-कश्मीर लाइट इंफ्रैंट्री की आठवीं यूनिट के मुखिया भी रहे.
सतीश दुआ पूर्वोत्तर के लिए बनाई गई काउंटर टेररिज्म फोर्स के प्रमुख भी रहे. इस फोर्स के गठन के पीछे भी सतीश दुआ का ही दिमाग था. सतीश दुआ एक कमांडो इंस्ट्रक्टर से लेकर वियतनाम, कंबोडिया और लाओस में डिफेंस अटैचे के तौर पर भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.