दिल्ली हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल में बंद आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल को आज सलाह दी कि वह बीजेपी नेता नितिन गडकरी की ओर से दायर मानहानि के मामले में जमानती मुचलका जमा करें.
न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर और न्यायमूर्ति सुनीता गुप्ता की पीठ ने कहा कि केजरीवाल जेल से बाहर आने के बाद जो चाहें वो कानूनी मुद्दा उठा सकते हैं और उन्हें इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण और वकील प्रशांत भूषण ने अदालत से कहा कि वह आप नेता से जेल में मिलना चाहते हैं ताकि उनका पक्ष लिया जा सके और उनके समक्ष अदालत के सुझाव को रखा जा सके.
अदालत ने दोनों वकीलों को दिन में एक बजे से पहले केजरीवाल से मिलने की इजाजत दे दी. इस मामले पर अब 3 बजे सुनवाई होगी. न्यायधीशों ने केजरीवाल को सलाह दी कि वह जमानती मुचलका जमा करें. पीठ ने कहा कि उनकी ओर से उठाए गए कानूनी मुद्दों का भी अंतिम नतीजा यही रहने वाला है.
केजरीवाल ने तत्काल रिहाई की मांग के लिए दायर याचिका में यह मुद्दा उठाया है कि क्या समन के ऐसे मामले में जमानती मुचलका देना जरूरी है जब आरोपी उपस्थित होता है और उसके साथ उसका वकील भी हो. याचिका में 21 और 23 मई के मजिस्ट्रेट के आदेशों के तहत केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने को चुनौती दी गई है. केजरीवाल ने मुचलका जमा करने से इनकार किया था, जिसके बाद निचली अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा था.
केजरीवाल का पक्ष है कि इस मामले में जमानती मुचलका अनिवार्य नहीं है और उन्हें लिखित हलफनामा देने की इजाजत दी जानी चाहिए थी.