दिल्ली को साफ-सुथरा रखने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने 10 दिन की Cleanliness Drive (क्लीनलीनेस ड्राइव) शुरू करने का आदेश दिया है. कल से शुरू होने वाली इस ड्राइव में डीडीए, जल बोर्ड, पीडब्लूडी और सभी एमसीडी शामिल होंगे. दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली में सफाई से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सरकारी मशीनरी और विभागों को चलाना इतना मुश्किल क्यों है. उनके तमाम सख्तआदेशों के बाद भी आखिर क्यों कोई भी विभाग काम करने को तैयार नहीं है.
दिल्ली हाई कोर्ट मे आज एक रिपोर्ट लगायी गयी है. इसमें कहा गया गया है कि दिल्ली के कई इलाकों से 15 दिन की क्लीनलीनेस ड्राइव मे मलबों को सड़कों और नालों के पास से हटा लिया गया है. हाई कोर्ट ने 14 दिसंबर को पीडब्लूडी, डीडीए और सभी एमसीडी को आदेश दिए थे कि दिल्ली की सड़कों से मलबे को हटाया जाए.
विभागों की रिपोर्ट देखने के बाद हाई कोर्ट ने पूछा कि इन आकड़ों के बाद भी क्या दिल्ली साफ हुई. क्या आपकी क्लीनलीनेस के चलते लोगों को कुछ राहत मिली. हाई कोर्ट ने सभी एजेंसियों से सवाल किया कि क्या आप पक्के विश्वास से कह सकते हैं कि जो तस्वीरें आप सफाई की पेश कर रहे है उन जगहों पर इस वक्त कूड़ा नहीं होगा. कोर्ट ने कहा कि सड़कों पर सफाई करवाना कोर्ट का काम नहीं है. लेकिन हमें यह करना पड़ रहा है क्योंकि आप सभी एजेंसी ये काम नहीं कर रहे हैं.
कोर्ट ने कहा कि 15 दिन की क्लीनलीनेस ड्राइव को पूरा करने के बाद भी दिल्ली मे सफाई दिखाई नहीं दे रही है. लिहाजा 10 दिन की क्लीनलीनेस ड्राइव को दुहराया जाए. ईस्ट दिल्ली एमसीडी की हड़ताल को लेकर भी दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि आप क्या सफाई करेंगे आप तो खुद हड़ताल पर हैं.
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली हाई कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है. इसमें सभी सफाई कर्मचारियों और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की कोर्ट से गुहार लगायी गयी है और जहां सफाई का काम न हो रहा हो और गंदगी हो वहां पर कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गयी है. याचिका मे कहा गया है कि कर्मचारियों और अधिकारियों के सफाई को लेकर जिम्मेदारी तय करने के लिए इलाके बटे होने चाहिए. ताकि यह साफ हो सके कि जिस जगह पर गंदगी है वहां पर किसके खिलाफ कार्रवाई की जाए.