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हाई कोर्ट आया हनुमान जी की रक्षा के लिए

कभी-कभी ऐसे हालात हो जाते हैं कि भगवान को भी इंसान के सहारे की जरूरत पड़ जाती है. मुबंई में एक ऐसा ही मामला सामने आया. वहां के पिकेट रोड स्थित प्रसिद्ध हनुमान मंदिर को बांटने, तोड़ देने या बेच देने की याचिका को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया.

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कभी-कभी ऐसे हालात हो जाते हैं कि भगवान को भी इंसान के सहारे की जरूरत पड़ जाती है. मुबंई में एक ऐसा ही मामला सामने आया. वहां के पिकेट रोड स्थित प्रसिद्ध हनुमान मंदिर को बांटने, तोड़ देने या बेच देने की याचिका को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया. यह मंदिर सौ साल से भी पुराना है और यहां प्रफुल्ल पटेल, मंत्री हर्षवर्द्धन पाटिल, अनुराधा पौड़वाल, अनूप जलोटा, आईपीएस ऑफिसर अमिताभ गुप्ता, हिमांशु रॉय, रजनीश सेठ, अदालतों के जज वगैरह माथा टेकने आते हैं.

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बताया जाता है कि एक परिवार इसकी देखभाल करता है. उसमें पांच भाई हैं और उनमें चढ़ावे की रकम को लेकर झगड़ा हो गया. इस पर नाराज होकर छोटे भाई परेश महंत ने अपने बड़े भाई अरुण महंत के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया और कहा कि या तो इस मंदिर को पांच हिस्सों में बांट दिया जाए या इसे बेच दिया जाए और सारी राशि पांचों भाइयों में आपस में बांट दी जाए.

हाई कोर्ट के जस्टिस रोशन दल्वी ने ऐसी मांग ठुकरा दी और कहा कि यह खानदानी जायदाद है और हिन्दू अविभाजित परिवार हमेशा चलेगा. इस जायदाद के मालिक परेश के पूर्वज थे और ऐसी हालत में यह सभी का है. हिन्दू सक्सेशन एक्ट के तहत अगर इसका बंटवारा होना ही था तो वह मालिक के मरने के तीन साल के अंदर ही हो सकता था. लेकिन अरूण और उसके एक अन्य भाई के वकील ने कहा कि इस प्रॉपर्टी में सभी पांचों के नाम डाल दिए जाएंगे.

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दरअसल झगड़े की वजह भी यही थी. अरुण और दूसरे भाई ने अन्य भाइयों के नाम संपत्ति के पट्टे से हटा दी थी. अब सभी के नाम इसमें डाले जाएंगे और सभी समान रूप से इसके वारिस होंगे. यह मंदिर उस परिवार की जमीन पर 1860 में बना था. यहां पर हनुमान जी और शनि की स्वयंभू स्वरूप में प्रतिमाएं हैं. पहले यह मंदिर समुद्र के बीच में था लेकिन बाद में वहां जमीन तैयार की गई जिससे वहां आबादी हो गई. इस मंदिर में हर महीने लगभग 13 लाख रुपए का चढ़ावा आता है. पर्व-त्योहारों में यह राशि बढ़ जाती है.

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