दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसजेंडर को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है. इसमें कहा गया हैं कि केंद्र और दिल्ली सरकार ट्रांसजेंडर के अधिकारों को लेकर 2014 के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अब भी पालन नहीं कर रही हैं.
याचिका पर हुई सुनवाई करते हुए ट्रांसजेंडर के अधिकारों पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को नोटिस देकर जवाब मांगा है. कोर्ट ने दोनों सरकार से पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अब तक क्या पालन किया गया है?
याचिका में आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के नालसा के केस में 2014 में दिए गए जजमेंट का पालन नहीं हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ट्रांसजेंडर के अधिकारों पर काम करने के लिए आदेश दिया है, जिसमें उन्हें 'थर्ड जेंडर' के तौर पर स्वीकृति दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि समाज मे पिछड़ो का दर्जा देते हुए सामाजिक और शैक्षिक रूप से आरक्षण दिया जाए. ट्रांसजेंडर को सेक्स और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के लिए स्वास्थ्य केंद्र दिए जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के अपने आदेश में खास तौर से ट्रांसजेंडरों को समाज में जगह दिलाने और उनकी सामाजिक समस्याओं पर काम करने और उनके सामाजिक उत्थान के लिए काम करने के लिए सरकार को निर्देश दिए थे. लेकिन याचिकाकर्ता का कहना है कि इस तरह के किसी काम में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 4 साल बाद भी सरकारों की कोई रुचि नहीं है.
13 नवंबर को दिल्ली हाइकोर्ट इस मामले की दोबारा सुनवाई करेगा. याचिकाकर्ता ने जिन गंभीर सवालों को उठाया है. अगली तारीख पर दिल्ली सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी दिल्ली हाइकोर्ट में जवाब देना होगा कि ट्रांसजेंडरों को समाज में सुविधा, बराबरी का दर्जा और आरक्षण देने को सुप्रीम कोर्ट के 2014 के आदेश पर अब तक कितना काम हुआ है.