राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिये आयात पर अत्यधिक निर्भरता से देश की अर्थव्यवस्था के राजकोषीय संतुलन पर प्रभाव पड़ेगा.
मुखर्जी ने सतत विकास के लिये उर्जा खपत और उपलब्धता के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत को भी रेखांकित किया. उन्होंने राष्ट्रीय उर्जा संरक्षण दिवस के मौके पर ये बातें कही. राष्ट्रपति ने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) में उर्जा का शुद्ध आयात सालाना 8 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है. उन्होंने कहा, 'उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने की बाध्यताएं हैं लेकिन आयात पर इस प्रकार की निर्भरता से हमारी अर्थव्यवस्था के राजकोषीय संतुलन पर असर पड़ेगा.' राष्ट्रपति ने कहा, 'सतत विकास के लिये जरूरी है कि उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग अत्यधिक कुशलतापूर्वक हो. अत: स्वच्छ ऊर्जा संसाधनों को आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है.'
पर्यावरण चिंताओं के वैश्विक मामलों में महत्वपूर्ण मुद्दा बनने को रेखांकित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि अर्थव्यवस्था के लिये वृद्धि की जरूरत के मुताबिक भारत की उर्जा खपत अगले दो दशकों में दोगुना होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, 'इस तथ्य को समझने की जरूरत है कि सतत भविष्य के लिये हमारे समाज को उर्जा खपत के साथ-साथ लागत तथा उपलब्धता के बीच बेहतर संतुलन साधने की जरूरत है.'
राष्ट्रपति ने कहा कि नीतियां ऊर्जा दक्षता को बढ़ाने वाली होनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'नीतियों के कारण 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 10,836 मेगावाट के बराबर बिजली की बचत हुई.' उन्होंने कहा, 'इसके कारण मौद्रिक रूप से सालाना 3000 करोड़ रुपये की बचत हुई है.' वैश्विक रूप से उर्जा खपत के मामले में भारत चौथे स्थान पर है। अमेरिका, चीन तथा रूस क्रमश: पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं.
मुखर्जी ने कहा कि ऊर्जा दक्षता बढ़ाने से संबद्ध राष्ट्रीय मिशन (नेशनल मिशन आन इनहांस्ड एनर्जी इफीशिएंसी) का उद्देश्य अनुकूल नियामकीय तथा नीतिगत माहौल के जरिये उर्जा के दक्ष उपयोग को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा, 'यह हमारी उर्जा सुरक्षा के लिये जरूरी है. हालांकि मैं इसे दोहराना चाहूंगा कि केवल नियामकीय तथा नीतिगत व्यवस्था पर्याप्त नहीं है बल्कि उसका क्रियान्वयन तथा प्रवर्तन ज्यादा महत्वपूर्ण है.' राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के साथ लोगों के लिये ऊर्जा जरूरत को पूरा करनी बड़ी चुनौती होगी.
इस मौके पर बिजली मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि उर्जा मांग में कई गुना वृद्धि होने की संभावना है. उन्होंने कहा, 'अत: उत्पादन, पारेषण और वितरण क्षमताओं में कई गुना वृद्धि करनी होगी.' बिजली सचिव पी उमाशंकर ने कहा कि सरकार जल्द ही उच्च दक्षता वाले बिजली उपकरण के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये कार्यक्रम शुरू करेगी.