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हिंदी चीनी भाई-भाई, पर बार्डर पर दगा क्यों?

चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग भारत दौरे पर शांति कायम करने के साथ ही श्रेत्रीय स्थिरता पर परस्पर रणनीतिक विश्वास की बात कह रहे हैं. लेकिन दूसरी ओर उनकी सेना सीमा पर धौंस दिखाती है और भारतीय सेना को अपनी ही सीमा के अंदर पीछे हटने पर मजबूर करती है. तो सवाल उठता है कि क्या वाकई रिश्तों में गर्माहट की शुरुआत होनेवाली है, क्योंकि बात भरोसे की है और अबतक तो यह टूटटा ही आया है.

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मनमोहन सिंह और ली केकियांग
मनमोहन सिंह और ली केकियांग

चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग भारत दौरे पर आए हैं और यहां वो दोनों देशों के बीच शांति कायम करने के साथ ही श्रेत्रीय स्थिरता पर परस्पर रणनीतिक विश्वास की बात कह रहे हैं.

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चीन के प्रधानमंत्री ली ने राष्ट्रपति भवन में गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण करने के बाद कहा, ‘दोनों देशों के बीच शांति और श्रेत्रीय स्थिरता पर आपसी रणनीतिक विश्वास कायम हो और इसी तरह दुनिया में समृद्धि का विकास भी चीन और भारत के सहयोग तथा समानांतर विकास के बिना नहीं हो सकता.’ चीनी राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी थे. ली ने कहा कि उनके और सिंह के बीच रविवार की बातचीत का ‘बहुत ही सार्थक सत्र’ हुआ और उन्हें उम्मीद है कि आगे की बातचीत से बेहतरीन परिणाम मिलेंगे.

उन्होंने कहा, ‘मेरी भारत यात्रा के तीन उद्देश्य परस्पर विश्वास को बढ़ावा देना, सहयोग तेज करना और भविष्य का सामना करना है.’ ली के अनुसार, उन्हें उम्मीद है कि दोनों पक्ष परस्पर रणनीतिक विश्वास को आगे बढ़ाएंगे. मार्च 2013 में पद ग्रहण करने के बाद पहली विदेश यात्रा के तहत वह रविवार को भारत पहुंचे. आज दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच बैठक होगी.

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ली, विदेश मंत्री वांग यी सहित 80 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आए हैं. वह मंगलवार को मुंबई जाएंगे और वहां से पाकिस्तान, स्वीट्जरलैंड और जर्मनी की यात्रा पर रवाना होंगे.

ली ने 27 साल पहले अपनी भारत यात्रा पर एक युवा प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था और उनका कहना है कि उन्हें उस यात्रा की यादें बेहद प्रिय हैं.

क्यों चीन पर करें भरोसा
एक और तो चीन के प्रधानमंत्री भारत की यात्रा पर आए हैं और सीमा पर शांति और परस्पर सहयोग की बातें कर रहे हैं लेकिन दूसरी ओर उनकी सेना भारत की सीमा में घुस आती है और धौंस दिखाती है कि पहले भारतीय सेना अपनी ही सीमा के अंदर पोस्ट से पीछे हटे तब उनकी सेना भारतीय जमीन से पीछे हटेगी.

अफसरों और कारोबारियों के लंबे-चौड़े जत्थे के साथ चीन के प्रधानमंत्री ली कचियांग ने जब भारत की जमीन पर पैर रखे तो साफ हो गया कि वो कारोबारी रिश्तों में इजाफे के इरादे से आए हैं. उम्मीदें दोनों तरफ लगी हुई है. सवाल ये भी हैं कि सीमा विवाद और नदियों को लेकर दोनों देशों के बीच क्या फैसला होगा.

औपचारिक बैठकें तो आज से हैं. रविवार को जब ली भारत दौरे पर पहुंचे तो गर्मजोशी से हाथ मिले, करीब घंटे भर की मुलाकात हुई, लद्दाख घुसपैठ प्रकरण से लेकर तमाम बातें हुई, पुरानी खटासों को भूलकर नई राह बनाने पर चर्चा हुई.

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मनमोहन सिंह ने ली के सम्मान में शाम को डिनर पार्टी भी दी. सोनिया, राहुल के अलावा सरकार के सहयोगी भी इस डिनर पार्टी में आए. विपक्ष के कई नेता भी इसमें शरीक हुए. तमाम कोशिशें हैं कि जो भी बात हो, वो अच्छे माहौल में हो.

भारत-चीन के बीच क्या हैं अहम मुद्देः
1. सीमा विवाद को सुलझाना.
2. दोनों देशों के बीच बहने वाली नदियों पर बांध का मामला.
3. दक्षिणी चीन सागर के द्वीपों का मसला.
4. दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में बढ़ोतरी.
5. दोनों देशों में आपसी निवेश.
6. वीजा को लेकर विवाद.
7. तिब्बत को लेकर चीन का रुख.
9. दलाई लामा पर चीन की नाराजगी.

आज चीन से आए प्रतिनिधिमंडल से प्रधानमंत्री की मुलाकात है. दोनों देशों के बीच समझौतों पर दस्तखत किए जाएंगे. शाम को उपराष्ट्रपति, सोनिया गांधी और सुषमा स्वराज से अलग-अलग मुलाकात होनी है. इन सबके बावजूद मन में एक सवाल अब भी उठता है कि क्या वाकई रिश्तों में गर्माहट की शुरुआत होनेवाली है. सवाल भरोसे का है और भारत का भरोसा अबतक तो टूटटा ही आया है.

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