असम में नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ जारी प्रदर्शनों के बीच गुरुवार को पुलिस ने असमी साहित्यकार और साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता डॉक्टर हिरेन गोहेन, वरिष्ठ पत्रकार मंजीत महंत और केएमएसएस नेता अखिल गोगोई के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है.
गुवाहाटी के पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने पत्रकारों को बताया कि पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए लातासिल पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 124 (ए), 120 (बी) समेत संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है. कुमार ने कहा, 'इन सभी के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज किया गया है. मैं इसकी जांच कर रहा हूं कि यहां सात जनवरी को हुई नागरिक समाज की बैठक के दौरान उन्होंने क्या कहा था.'
तीनों एक नागरिक संगठन, नागरिक समाज के सदस्य हैं जो नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध कर रहा है. बता दें कि लोकसभा द्वारा मंगलवार को इस विधेयक को पास किए जाने के बाद पूरे असम में विरोध प्रदर्शन हुए और कई संगठनों ने राज्यव्यापी बंद का भी आह्वान किया था.
लोकसभा में विधेयक पारित होने पर भाजपा प्रवक्ता मेहदी आलम बोरा ने मंगलवार को पार्टी में सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. इससे पहले, असम विधानसभा के अध्यक्ष हितेन्द्र नाथ गोस्वामी ने बुधवार को एक नागरिक के नाते उम्मीद जताई थी कि सरकार नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर लोगों के विचारों का सम्मान करेगी. भाजपा विधायक गोस्वामी ने कहा कि वह एक संवैधानिक पद पर हैं इसीलिए सरकारी संस्थानों का उन्हें सम्मान करना ही होगा लेकिन विधेयक के खिलाफ घटे घटनाक्रमों ने उन्हें निजी तौर पर प्रभावित किया है.
उन्होंने एक बयान में कहा, 'बतौर स्पीकर, विधेयक के संशोधनों पर उन्हें कुछ नहीं कहना है लेकिन एक नागरिक के नाते वह उम्मीद रखते हैं कि सरकार इस मामले में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों की भावनाओं का सम्मान करेगी.'
बताते चलें कि यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया था. इस विधेयक के कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय छह साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी.