देश-दुनिया में ख्याति अर्जित कर चुके इतिहासकार बिपिन चंद्रा का देहांत हो गया है. उन्होंने 86 साल की उम्र में आखिरी सांस ली.
बिपिन चंद्रा ने 'आधुनिक भारत का इतिहास' और 'भारत का स्वाधीनता संघर्ष' जैसी कई किताबें लिखी थीं. उनकी कुछ अन्य किताबें हैं 'द मेकिंग ऑफ मॉडर्न इंडिया: फ्रॉम मार्क्स टू गांधी', 'द राइज एंड ग्रोथ ऑफ इकोनॉमिक नेशनलिज्म इन इंडिया'. वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रह चुके थे. साल 1993 में वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के सदस्य बनाए गए थे. साल 2004 से लेकर 2012 तक वे नेशनल बुक ट्रस्ट (NBT) के अध्यक्ष रहे थे. उनका जन्म 1928 में हुआ था.
बिपिन चंद्रा को 'आधुनिक भारत' में विशेषज्ञता हासिल थी, चाहे बात सामाजिक इतिहास की हो या आर्थिक इतिहास की हो. भारत के स्वाधीनता संग्राम पर लिखी उनकी पुस्तक एक कालजयी रचना समझी जाती है.
बिपिन चंद्रा की लेखन-शैली इतनी सरल और प्रभावशाली है कि पाठक ऐतिहासिक जानकारियों को भी एक कहानी की तरह जज्ब कर सकते हैं. दुनिया से उनकी विदाई ज्ञान की गंगा में गोते लगाने वालों को खूब खलेगी.
शनिवार सुबह नींद में ही उनका देहांत हो गया. परिजनों ने बताया कि उन्होंने अपने गुड़गांव स्थित घर में अंतिम सांस ली.
कांग्रेस नेता नवीन जिंदल ने बिपिन चंद्र के निधन पर शोक जताते हुए ट्विटर पर लिखा, 'ख्यात इतिहासकार बिपिन चंद्र के निधन के बारे में जानकार दुख हुआ. भगवान उनकी आत्मा को शांति दें.'
वहीं, पेंगुइन बुक्स इंडिया के प्रकाशक चिकी सरकार ने बिपिन चंद्र के निधन पर शोक जताते हुए कहा, 'वह हमारे (पेंगुइन इंडिया) के सर्वाधिक सम्मानित लेखक थे, जिनकी भारतीय इतिहास की किताबों का कई पीढ़ियों के पाठकों ने अध्ययन किया. हम उनके निधन पर शोक जताते हैं.'