हॉकी इंडिया के चुनाव को लेकर चल रही राजनीति और खिलाड़ियों को भुगतान नहीं मिलने को विश्व कप की तैयारियों की राह में रोड़ा करार देते हुए पूर्व दिग्गजों ने कहा है कि मौजूदा माहौल को देखते हुए अगले महीने से अपनी धरती पर हो रहे विश्व कप में भारतीय टीम का सेमीफाइनल तक पहुंचना किसी चमत्कार जैसा होगा. राष्ट्रीय कोच हरेंद्र सिंह ने टीम के लिये अंतिम चार में पहुंचने का प्रारंभिक लक्ष्य रखा है लेकिन पूर्व दिग्गजों का कहना है कि इसे हासिल कर पाना टेढी खीर होगा. हाकी इंडिया का ध्यान 29 जनवरी को होने वाले चुनाव के लिये चल रही खींचतान पर है जबकि खिलाड़ियों ने भुगतान नहीं मिलने के कारण पुणे में चल रहे शिविर का बहिष्कार कर दिया है.
चक दे इंडिया फेम पूर्व खिलाड़ी मीररंजन नेगी ने कहा कि हॉकी इंडिया में इतनी गंदी राजनीति हो रही है कि टीम ऐसे माहौल में भी अगर विश्व कप के सेमीफाइनल तक पहुंचती है तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा. उन्होंने कहा, ‘हमें मेजबान होने का कोई लाभ नहीं मिल रहा. मैदान तैयार नहीं है और भुगतान के अभाव में खिलाड़ी तैयारियों पर ध्यान नहीं दे पा रहे.’ उन्होंने कहा कि टीम का मनोबल गिरा हुआ है और इसमें विजेता वाले तेवर नजर ही नहीं आ रहे. साथ ही उन्होंने विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट को संजीदगी से नहीं लिए जाने का आरोप भी लगाया.
वहीं आईओए की तदर्थ चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष रहे ओलंपियन असलम शेर खान ने कहा कि वह टीम अंतिम चार में कैसे पहुंचेगी, जिसकी कोई खरियत पूछने वाला ही नहीं है. असलम ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि हॉकी इंडिया को टीम के प्रदर्शन से नहीं बल्कि चुनाव में सत्ता हासिल करने से अधिक मतलब है. उसका लक्ष्य पदों पर कब्जा करना है, पदकों पर नहीं. ऐसे माहौल में विश्व कप में टीम से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद करना बेमानी है.’ उन्होंने कहा, ‘हॉकी इंडिया के गठन के समय यदि सही हाथों में कमान सौंपी जाती तो यह भारतीय हॉकी के लिये निर्णायक मोड़ हो सकता था लेकिन सत्तारूढ लोगों की नीयत में खोट है. उन्हें ना खेल से मतलब है और ना ही खिलाड़ियों से.’ पूर्व ओलंपियन परगट सिंह ने कहा कि हॉकी इंडिया की करनी का अंजाम खिलाड़ियों को भुगतना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा, ‘हॉकी इंडिया 29 जनवरी को होने वाले चुनाव के समीकरण अपने अनुकूल बनाने में मसरूफ है. प्रादेशिक ईकाइयों को मान्यता देने के मामले में मनमानी कर रही है और इन तमाम झंझावातों में विश्व कप तथा टीम की तैयारियां हाशिये पर चली गई है.’ परगट ने कहा कि निश्चित तौर पर इसका असर तैयारियों पर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि हॉकी इंडिया को चाहिये कि नियमों के तहत चुनाव की औपचारिकतायें जल्दी पूरी करके विश्व कप की तैयारी पर ध्यान दे.
नेगी ने यह भी कहा कि हाकी इंडिया के गलत फैसलों की वजह से ही टीम को बेहतरीन कोच भी नहीं मिल सका. उन्होंने कहा, ‘जोस ब्रासा दुनिया के बेहतरीन कोचों में से नहीं है लेकिन उनके आने से फर्क पड़ा है. ऐसे में यदि हमारे पास रिक चार्ल्सवर्थ जैसा कोई उम्दा कोच होता तो भारत शीर्ष टीमों में शुमार हो सकता था लेकिन हाकी के हुक्मरानों ने इसकी सुध नहीं ली.’ पूर्व ओलंपियन और कोच बलजीत सिंह सैनी ने कहा कि 28 फरवरी से शुरू हो रहे विश्व कप से पहले चार देशों का टूर्नामेंट रद्द होना बहुत बड़ा झटका था क्योंकि भारत ने अभी तक बड़ी टीमों के खिलाफ अपना आकलन नहीं किया है.
उन्होंने कहा, ‘कमजोर टीमों को रौंदने से तैयारियों का पता नहीं चलता. हमें हालैंड या आस्ट्रेलिया जैसी टीमों से खेलना चाहिये था लेकिन चार देशों का टूर्नामेंट रद्द हो गया जो तैयारियों के लिये बड़ा झटका है.’ हॉकी इंडिया का कहना है कि एफआईएच से अनुमति नहीं मिलने के कारण यह टूर्नामेंट रद्द करना पड़ा जबकि एफआईएच पिच तैयार नहीं होने की दुहाई दे रहा है. भारतीय कोचों ने जनवरी के आखिर से अभ्यास के लिये नेशनल स्टेडियम मांगा है लेकिन उसके फरवरी से पहले तैयार होने के आसार नजर नहीं आ रहे लिहाजा भारतीय टीम को मेजबान होने का अधिक फायदा हाकी के इस महासमर में मिलता नहीं दिखता.