गृहमंत्री राजनाथ सिंह जम्मू कश्मीर की चार दिनों की यात्रा पर श्रीनगर पहुंचे हैं. इस दौरान उन्होंने सबसे पहले मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से मुलाकात की. अपनी इस यात्रा के अंतर्गत राजनाथ सिंह अनंतनाग, जम्मू और राजौरी भी जाएंगे. इस दौरान वह सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के अलावा कारोबारी जगत के लोगों से भी मुलाकात करेंगे.
Leaving New Delhi for Srinagar on a 4 day visit to Jammu & Kashmir. Shall interact with delegations from different sections of the society.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 9, 2017
I am going there with an open mind and I am willing to meet anyone who will help us in finding solutions to problems facing J&K.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 9, 2017
अपनी इस यात्रा से पहले गृहमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य में हर समस्या का समाधान चाहती है और अपनी यात्रा के दौरान वह बातचीत के इच्छुक हर व्यक्ति से मिलने को तैयार हैं. राजनाथ सिंह कश्मीर के लिए जारी 80 हजार करोड़ रुपये के प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत जारी योजनाओं की कार्यप्रगति की समीक्षा करेंगे. इसके साथ ही राज्य में सुरक्षा के सामान्य हालात बहाल करने के लिए किए जा रहे उपायों का भी जायजा लेंगे.
अनंतनाग में वह आतंकवाद रोधी अभियानों में तैनात राज्य के पुलिसकिर्मयों, सीआरपीएफ और बीएसएफ के जवानों से मिलेंगे, जबकि रविवार को राज्य में सुरक्षा हालात पर प्रस्तावित समीक्षा बैठक में भी वह हिस्सा ले सकते हैं. इस बैठक में मुफ्ती के अलावा कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ और सेना के आला अधकारी मौजूद रहेंगे.
समझा जाता है कि कश्मीर के हालात पर युवाओं के विचार जानने के लिए गृहमंत्री श्रीनगर में छात्रों से भी मुलाकात कर सकते हैं. सोमवार को जम्मू रवाना होने से पहले श्रीनगर में वह एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेंगे, जबकि राजौरी में वह बीएसएफ के कैंप का भी दौरा कर सकते हैं, जम्मू में वह कारोबारियों, विस्थापितों, कश्मीरी पंडितों के अलावा गुज्जर और बक्करवाल समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह का दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान के तीन हफ्ते बाद है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कश्मीर समस्या का समाधान गोली और गाली से नहीं बल्कि कश्मीरियों को गले लगाने से होगा. सिंह खुद बीती 19 अगस्त को कह चुके हैं कि कश्मीर समस्या का समाधान साल 2022 तक नक्सलवाद, आतंकवाद और पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवाद की समस्या का समाधान निकालने से पहले कर लिया जाएगा.