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इस APP के जरिये जवान कर सकेंगे खाने-पीने से लेकर हर शिकायत!

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने एप लांच के इस मौके पर बीएसएफ को बधाई दी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "आखिर इस तरह के एप की जरूरत क्यों पड़ी. हम बताते हैं कि हम इस फोर्स से सीधे जुड़ना चाहते हैं.

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राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह

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बीएसएफ जवान तेज बहादुर सिंह ने खाने का मुद्दा सोशल मीडिया पर जिस समय डाला था उस समय पूरी फोर्स को लेकर सवाल उठे थे कि क्या सीमा की सुरक्षा करने वाले जवानों को ऐसा ही खाना मिलता है. ये बात जब तूल पकड़ने लगी तो दूसरी पैरामिलिट्री फोर्सेज से खाने और जवानों से जुड़ी दूसरी समस्याओं का मुद्दा सामने आने लगा. हालांकि बाद में तेज बहादुर ने जिसने खाने का मुद्दा सोशल मीडिया पर वायरल किया था उसको बीएसएफ ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में गलत पाया और उन पर कार्रवाई करते हुए नौकरी से बर्खास्त कर दिया. नौकरी से निकलने के बाद अब तेज बहादुर यादव अपनी मांगों को लेकर 14 मई से जंतर-मंतर पर धरने पर बैठने जा रहे हैं. तेज बहादुर यादव के धरने पर बैठने से पहले सरकार के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज 'MHA Grievances Redressal App' और 'BSFMyApp' लांच किया.

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पहले एप के जरिए सभी पैरामिलिट्री फोर्स के जवान और BSFMyAPP में सिर्फ बीएसएफ के जवान अपनी समस्यायों की जानकारी डाल सकते हैं और जानकारी ले भी सकते हैं. इस एप के जरिए अपनी सैलरी, जीपीएफ और अगर जवान को छुट्टी लेना है तो इस एप के जरिए छुट्टी भी ले सकता है. जवान बीएसएफ के इस एप के जरिए अलग स्कीम के बारे जानकारी हासिल कर सकते हैं. वहीं MHA Grievances Redressal App में डाली गई शिकायतों को जिसका गृह मंत्रालय स्तर और फोर्स के स्तर से तुरंत निपटारा किया जाएगा. देश के 10 लाख पैरामिलिट्री के जवान इस एप्लीकेशन का इस्तेमाल कर सकेंगे. जिसमें वो अपनी शिकायत, वीडियो और फोटो को भी भेज सकते हैं. अब जब ये शिकायत वीडियो और फोटो इस एप पर आ जाएगा तो उस पर बैठे अधिकारी तीन तरीके से जवाब देंगे कि शिकायत पर कार्रवाई कर दी गई है. या फिर जानकारी देंगे कि शिकायत पर कार्रवाई बाकी है. या आपकी शिकायत पर करवाई नही की जा सकती है.

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने एप लांच के इस मौके पर बीएसएफ को बधाई दी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "आखिर इस तरह के एप की जरूरत क्यों पड़ी. हम बताते हैं कि हम इस फोर्स से सीधे जुड़ना चाहते हैं. अधिकारी बार-बार कहता है कि आप अपनी बात मंत्री के सामने करो पर अनुशासन की वजह से शायद वो अपनी बात नहीं कह सकते थे. कुछ छत्तीगढ़ जैसी जगह हैं जहां टिन का शेड लगा रहता है फिर भी वो उफ नहीं करते हैं. इसीलिए हमने तय किया है कि जवान डिजिटल ऑप्शन के जरिए अपनी समस्यायों को लेकर आ सकते हैं. मैं इस वेब एप को प्रति महीना खुद देखूंगा. कई घटनाएं हैं. जिसमें एक जवान CRPF का जवान कश्मीर जा रहा था वो EVM लेकर जा रहा था. उसको लोग उकसा रहे थे. पर हमारे जवान रणनीति के तहत ऑफेंसिव और डिफेंसिव होते रहते हैं. कब किसका प्रयोग करना है, वहां मौजूद जवान ने अपने हिसाब से निर्णय लिया. इस एप के लिए कनेक्टिविटी की समस्या हो सकती है. लेकिन जब कनेक्टिविटी जहां ठीक होगी वहां से अपनी समस्या भेज सकते हैं. जवान शहीद हो जाते थे उनको कोई पैसा नहीं मिलता था. हम अब ये चाहते हैं कि जवान को कम से कम 1 करोड़ रुपये मिले ये व्यवस्था हम कर रहे हैं. जो जवान घायल होते हैं उनकी भी ज्यादा से ज्यादा पैसा मिले ये हम चाहते हैं. 'भारत के वीर' वेबसाइट को बहुत अच्छा रेस्पांस मिल रहा है."

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