गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शांति बहाली के मकसद से कश्मीर गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के लौटने के बाद कश्मीर घाटी के ताजा हालात पर रिपोर्ट दी. उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के साथ के कश्मीर पर नई रणनीति को लेकर चर्चा की. पीएम नरेंद्र मोदी भी सोमवार रात ही चीन में जी-20 सम्मेलन में शिरकत कर लौटे हैं.
सूत्रों की मानें तो पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बीच कश्मीर में हिंसा से बिगड़ते हालात सामान्य करने को लेकर भविष्य में सरकार की आगे की क्या क्या रणनीति हो इस पर चर्चा हुई है. हालांकि सरकार ने अलगाववादियों पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर जाने से पहले ही साफ कर दिया था कि केंद्र सरकार अलगाववादियों के सामने नरम नहीं पड़ने वाली नहीं हैं.
8 जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की सुरक्षा बलों के हाथों मौत के बाद से हुर्रियत नेताओं पर घाटी में माहौल बिगाड़ने के आरोप लगे हैं. सरकार का मानना है कि हुर्रियत नेताओं से तब तक नहीं चाहिए, जब तक वो घाटी में हालात सामान्य करने में सरकार की मदद नहीं करते.
बुधवार को सवर्दलीय प्रतिनिधिमंडल के नेताओं की बैठक
सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पीएम को ये भी बताया कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के कुछ नेताओं ने जरूर हुर्रियत नेताओं से जा कर मिलने की कोशिश की थी लेकिन हुर्रियत नेताओं ने मिलने से इनकार कर दिया था. राजनाथ सिंह ने पीएम को ये भी बताया की बुधवार को एक बार फिर से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की बैठक होगी जिसमे कश्मीर के संगठनों और ग्रुप से मिले सुझावों पर चर्चा की जाएगी और प्रतिनिधिमंडल के नेताओं से कश्मीर के हालात पर सरकार को क्या-क्या कदम उठाने चाहिए, इस पर राय ली जाएगी.
हुर्रियत पर बरसे राजनाथ
राजनाथ सिंह ने सोमवार को बताया था कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के कुछ सांसद निजी तौर पर अलगाववादियों से मुलाकात करने गए थे. लेकिन उनके साथ अलगाववादियों का बर्ताव कश्मीरियत और इंसानियत वाला
नहीं था. उन्होंने कहा, 'जम्हूरियत, कश्मीरियत और इंसानियत के दायरे में कश्मीर में शांति और सामान्य स्थिति लाने के इच्छुक लोगों के लिए न केवल हमारे दरवाजे, बल्कि खिड़की और रोशनदान भी खुले हुए हैं.'
घाटी में दो महीने में मारे गए 74 लोग
दो महीने से घाटी में कायम अशांति के दौरान कम से कम 74 लोग मारे जा चुके हैं और करीब 12,00 लोग घायल हुए हैं. घाटी में इस तरह की हिंसा इससे पहले 2010 में हुई थी. तब 120 लोग पुलिस और अर्धसैनिक
बलों की गोलियों से मारे गए थे.