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गोतस्करी रोकने के लिए गृह मंत्रालय में हुई अहम बैठक, बांग्लादेश बॉर्डर सील करने पर कार्रवाई तेज

बैठक में कई अफसरों ने ये सुझाव भी दिया कि देश भर में एक जिले से दूसरे जिले और एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच गोवंश के आवागमन को नियंत्रित करना कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज से बेहद अहम हो गया है. लिहाजा इसपर रोक लगाई जानी चाहिए.

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पुलिस ने पेश की गोतस्करी की ताजा रिपोर्ट
पुलिस ने पेश की गोतस्करी की ताजा रिपोर्ट

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संघ परिवार के दबाव के बाद गोतस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई को लेकर मोदी सरकार ने भी प्रशासनिक मशीनरी को चाक-चौबंद करना शुरू कर दिया है. गृह मंत्रालय ने गोवंश की तस्करी रोकने और कानून-व्यवस्था के हालात पर नजर रखने के लिए मंत्रालय के तहत विशेष समिति का गठन कर नियमित रूप से गोतस्करी रोकने के काम की मॉनिटरिंग करने का फैसला लिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी की अगुवाई में विशेष टीम अब सीधे गोतस्करी से प्रभावित राज्यों के आला अफसरों के साथ मामले पर नजर रखेगी.

गृह मंत्रालय ने गोवंश की अवैध तस्करी रोकने, बांग्लादेश बॉर्डर को सील करने के सवाल पर शुक्रवार को आला अफसरों के साथ अहम बैठक की. इसमें असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, यूपी, हरियाणा, ओडिशा, महाराष्ट्र, गुजरात समेत अनेक राज्यों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और केंद्रीय बलों के आला अफसरों ने हिस्सा लिया. बैठक में कई अफसरों ने ये सुझाव भी दिया कि देश भर में एक जिले से दूसरे जिले और एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच गोवंश के आवागमन को नियंत्रित करना कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज से बेहद अहम हो गया है. लिहाजा इसपर रोक लगाई जानी चाहिए.

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पुलिस ने पेश की गोतस्करी की ताजा रिपोर्ट
बैठक में मौजूद एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, असम सरकार की ओर से मौजूद पुलिस अधिकारियों के दल ने सरहद पर गोतस्करी की ताजा रिपोर्ट बैठक में पेश की. इस बात पर जोर दिया कि जब तक भारत और बांग्लादेश की सरहद पर केंद्र की ओर से नदियों पर सख्त पहरा नहीं बिठाया जाएगा, तब तक सरहद पर पूरे तौर पर गोतस्करी रोकना मुश्किल है. रिपोर्ट में बताया गया कि ज्यादातर गोतस्करों ने जमीनी सरहद पर कड़ाई के बाद रणनीति बदल ली है. सरहद पार ले जाने के लिए सैकड़ों की तादाद में गोवंश को तस्कर अब नदियों में धकेल देते हैं, क्योंकि नदियों में बहते गोवंश को रोक पाना सुरक्षा बलों के वश में भी नहीं होता. असम सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, सरहद पर बसे ज्यादातर अल्पसंख्यक बहुल गांवों में गोतस्करों को संरक्षण मिलता है.

बैठक में शामिल हुए राज्यों के पशुधन विभाग
गृह मंत्रालय की बैठक में प्रभावित राज्यों के पशुधन विभाग के अफसरों को भी खास तौर पर बुलाया गया था. असम सरकार ने जहां प्रभावित इलाकों में ज्यादा से ज्यादा गोशालाओं के खोलने की योजना का ब्यौरा दिया. वहीं, ओडिशा पशुधन विभाग की ओर से बैठक में बताया गया कि बीते 5 साल में ओडिशा में गोवंश की गणना में 20 लाख से ज्यादा की कमी आई है. इसके पीछे गोवंश की अवैध तस्करी मुख्य वजह है. हर साल 4-5 लाख गोवंश ओडिशा से पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश ले जाया जा रहा है और इस अवैध गोतस्करी को रोकने में सुरक्षा बल और प्रशासन नाकाम साबित हुए हैं.

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