जब प्रतिष्ठा विकृत ढंग से जान से प्यारी हो जाए तो जान खतरनाक ढंग से सस्ती हो सकती है. भारत के विशाल ग्रामीण क्षेत्र में हर वर्ष एक हजार से ज्यादा युवा अपने ही लोगों के हाथों मार डाले जाते हैं. इनमें से 900 तो अकेले अन्न उगाने वाले पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मारे जाते हैं.
इन हत्याओं को 'ऑनर किलिंग' (इज्जत के लिए कत्ल) कहा जाता है, और ऐसी हर हत्या के लिए प्रत्यक्ष तौर पर जाति या धर्म की पवित्रता की रह्ना का बहाना बनाया जाता है. ये सारी हत्याएं शादियों से जुड़ी होती हैं, और इनका स्त्रोत होता है, हर समुदाय के अपने-अपने अजीबोगरीब नियमों का ढांचा जो जातियों की परतों में बंटे समाज में विजातीय विवाह के ढांचे पर सवार होता है.
जिस देश में प्रेम विवाह को एक विशेष प्रकरण माना जाता है, अपने जीवनसाथी का चुनाव करने की सजा आम तौर पर उन लोगों का परिवार ही तय कर देता है, जो ऐसा करने की हिमाकत करते हैं. कुख्यात खाप पंचायत जैसे परंपरागत जातिगत संगठनों से समर्थन प्राप्त, जिसमें हरियाणा में एक पूर्व मुख्यमंत्री तक शामिल हैं, यह अपराध करने वाले अपने आपको सामाजिक व्यवस्था का रक्षक समझते हैं.
18 वर्ष की आशा और 24 साल के संजय कुमार का मामला देखिए, जो पिछले वर्ष फरवरी में शादी करने के बाद से ''नरक में रह रहे हैं.'' इनका अपराध? ये दोनों हरियाणा के भिवानी जिले के एक ही गांव के रहने वाले हैं और इस लिहाज से भाई-बहन माने जाते हैं. सामाजिक तौर पर जाति से निष्कासित और लगातार भागते फिर रहे इन दोनों को इस दौरान धमकी भरे फोन भी मिले. अब पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट के आदेश पर इन्हें पुलिस सुरक्षा मिली है. {mospagebreak}
या देखिए 32 साल के हरदेव सिंह का मामला, जो पंजाब के मोगा में टैक्सी ड्राइवर हैं और जिन्होंने 25 वर्षीया अमनदीप कौर से प्रेमविवाह किया. कौर के पिता, जो एक संपन्न किसान हैं, इस पर इतने नाराज हुए कि नवविवाहितों को पुलिस की शरण लेनी पड़ी. जान बचा कर भागते जोड़ों के ऐसे आवेदनों से पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट लबालब हो चुका है. कुछ लोग इसे एक सकारात्मक घटनाक्रम के तौर पर देखते हैं.
वकील अनुपम गुप्ता कहते हैं, ''यह महिलाओं की मुक्ति का वास्तविक आंदोलन है, जो चल रहा है.'' लेकिन उस इलाके में, जहां राज्य सरकार को इलाके की सबसे बड़ी अदालत से इस बात के लिए जबरदस्त आलोचना सुननी पड़ी हो कि वह ''ऑनर किलिंग की घटनाओं को चेन झ्पटने की घटनाओं की तरह ले रही है'', इस आंदोलन के सामने आगे का रास्ता कठिन और रक्तरंजित है.
देश के बाकी हिस्से भी अछूते नहीं बचे हैं. जुलाई में मदुरै उस समय सुर्खियों में आ गया था, जब कुट्टीकुलम गांव की थेवर जाति की 20 वर्षीया मेगला को उनके माता-पिता ने इस बात के लिए लगभग मार ही डाला था कि वे उनसे उम्र में 15 साल बड़े पुरुष के साथ शादी किए जाने के कुछ दिन बाद ही अपने दलित प्रेमी के साथ भाग क्यों गई थीं. लगातार पीछे पड़कर, पकड़ कर और फिर गांव वापस लौटने के लिए फुसलाए जाने के बाद मेगला और उसके मर्द को तीखे नुकीले हथियारों से 'सजा' दी गई थी.{mospagebreak} कुट्टीकुलम गांव के लोग कहते हैं कि गांव अब ''शुद्ध'' है, लेकिन मेगला अभी भी यह नहीं समझ् पा रही हैं कि उन्होंने तो ''अपने दिल की बात ही सुनी थी'', उस पर उन्हीं के परिवारवालों ने उसके साथ यह सलूक क्यों किया.
और मामला सिर्फ गांवों का नहीं है. 2006 में पुलिस के संरक्षण में शादी करने वाले कुलदीप सिंह और मोनिका का मामला देखिए. क्रमशः राजपूत और गुज्जर जाति के इन दो प्रेमियों की जून में हत्या कर दी गई. हत्या के तीन आरोपितों को तब जाकर गिरफ्तार किया जा सका, जब पुलिस ने इसके लिए 50,000 रु. का इनाम घोषित किया. इन आरोपितों में से एक मोनिका का सगा भाई और दूसरा चचेरा भाई है. एक मुस्लिम युवक से प्रेम करने के कारण मोनिका की बहन की भी हत्या कर दी गई थी. तीसरी बहन खुशबू लापता है, जिसे विजातीय नृत्य शिक्षक के साथ प्रेम हो गया था.
या निरुपमा पाठक और प्रियभांशु रंजन का मामला देखिए, ब्राह्मण जाति की पाठक और कायस्थ प्रियभांशु शादी करना चाहते थे, लेकिन पाठक के परिवार को यह मंजूर नहीं था. पाठक की मां के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले की जांच चल रही है.
दोमुंही बातें भी खूब होती हैं. अखिल भारतीय जाट महासभा के महासचिव युद्धवीर सिंह कहते हैं, ''हम एक ही गोत्र में विवाह की अनुमति नहीं देते हैं, लेकिन अंतरजातीय विवाह पर हमें कोई एतराज नहीं है.'' लेकिन एक गैर सरकारी संगठन शक्ति वाहिनी द्वारा हाल में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछले एक साल में 'ऑनर' से जुड़े 326 अपराधों में से 72 प्रतिशत तो अंतरजातीय विवाहों से संबंधित थे.{mospagebreak} चंडीगढ़ स्थित विशेषज्ञ रंजीत मल्होत्रा कहते हैं, ''इज्जत के लिए मारी जाने वाली महिलाएं अगर पारिवारिक सहमति या बलात विवाह से इनकार कर देती हैं, हिंसा पर उतारू पति से तलाक मांगती हैं या अपने माता-पिता की इच्छा के विपरीत शादी करने की कोशिश करती हैं, तो उनको निशाना बनाया जाता है.''
सरकार अब ऑनर किलिंग के खिलाफ नया कानून लाने पर काम कर रही है. गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने यह कहते हुए कि ''ऑनर किलिंग में कोई ऑनर नहीं है'', लोकसभा को बताया कि इस विषय पर एक विधेयक संसद के वर्तमान सत्र में पेश किया जाएगा. उस देश में ऐसा करना कतई जल्दबाजी नहीं है, जहां प्रेम को मारे-मारे भागना पड़ रहा है.