वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट हॉस्पिटलिटी ने गुड़गांव जिले के मानेसर में साल 2008 में 3.5 एकड़ जमीन डीएलएफ के हाथ 58 करोड़ रुपये में बेची थी. हुड्डा सरकार की मंजूरी से इस जमीन के भूमि उपयोग में परिवर्तन (CLU) के बाद इसे डीएलएफ को बेच दिया गया.
हरियाणा विधानसभा में मंगलवार को CAG की रिपट पेश की गई जिसके मुताबिक, 'विशेष आवेदक (वाड्रा की कंपनी) को अनुचित लाभ देने की संभावना खारिज नहीं की जा सकती.' रिपोर्ट में हुड्डा सरकार द्वारा वाड्रा की कंपनी को ज्यादा तवज्जो देने पर भी सवाल उठाया गया है.
हुड्डा सरकार ने अपनी तरफ से सीयूएल के लिए तत्काल मंजूरी देकर करके वाड्रा के प्रति एक तरह से आभार जताया. वरिष्ठ अधिकारी अशोक खेमका ने इस सौदे को अवैध बताते हुए इसे रद्द करने का आदेश दिया था.
यह विवाद तब राष्ट्रीय मुद्दा बन गया, जब विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार दिल्ली तथा दिल्ली के आसपास विवादित भूमि सौदों में वाड्रा की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.
गौरतलब है कि वाड्रा ने दिल्ली के निकट हरियाणा के चार जिलों- गुड़गांव, पलवल, फरीदाबाद तथा मेवात में जमीन खरीदी थी. खेमका ने आरोप लगाया था कि वाड्रा के जमीन सौदों से राज्य को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है. उन्होंने साल 2005 के बाद वाड्रा की कंपनी द्वारा खरीदे गए सभी जमीनों के सौदे की जांच के आदेश दिए. लेकिन हुड्डा सरकार ने वाड्रा को क्लिन चिट दे दी और इस आदेश के लिए खेमका पर ही आरोप पत्र दाखिल कर दिया था.
---इनपुट IANS से