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एसिड अटैक: प्यार में नाकाम मनचलों का खौफनाक काम

इश्क का जूनून जब पागलपन में तब्दील हो जाए, तो उसका अंत खौफनाक होता है. जी हां, ऐसा ही पागलपन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में देखने को मिला. यहां एक तरफा प्यार में पागल एक युवक ने एक युवती के उपर तेजाब फेंक दिया.

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Symbolic Image
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इश्क का जूनून जब पागलपन में तब्दील हो जाए, तो उसका अंत खौफनाक होता है. जी हां, ऐसा ही पागलपन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में देखने को मिला. यहां एक तरफा प्यार में पागल एक युवक ने एक युवती के उपर तेजाब फेंक दिया. लेकिन अपने कथित प्यार को दर्द से तड़पता देख उसकी रुह कांप गई. गलती का एहसास तो हुआ, लेकिन सबकुछ खत्म हुआ समझ, उसने भी खुदकुशी कर ली.
 
भोपाल की घटना ने एक बार फिर एसिड अटैक के मामलों से संबंधित जख्म हरे कर दिए हैं. कितनी ही महिलाएं और लड़कियां आज गुमनामी की जिंदगी जी रही है. हालांकि कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं की पहल पर कुछ लड़कियों की अंधेरी जिंदगी फिर से उजाला हुआ है.
 
भारत में हर साल करीब 500 लोगों पर एसिड अटैक होता है, वहीं दुनियाभर में यह आंकड़ा 1500 है. इसमें महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है. प्यार में असफलता, छेड़खानी, दहेज और जमीन विवाद में ऐसी घटनाएं सबसे अधिक होती है.
 
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की माने तो यूपी, एमपी और दिल्ली में ऐसी घटनाओं का ग्राफ सबसे उपर है. साल 2014 में केवल यूपी में ही एसिड अटैक के 185 केस दर्ज किए गए है. भारत के साथ ही पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों में भी एसिड अटैक की घटनाएं बहुतयात होती है.
 
देश में बढ़ती इन घटनाओं को देखते हुए सन 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्‍य सरकारों को जमकर फटकार लगाई थी. इसके साथ ही यह निर्देशित किया था कि एसिड अटैक से पीडि़तों के इलाज और पुनर्वास की पूरी जिम्‍मेदारी राज्‍य सरकार की होगी.
 
केद्र सरकार ने भी एसिड अटैक को जघन्य अपराधों की श्रेणी में रखने का फैसला किया है. ऐसे केस में आजीवन कारावास या मौत की सजा दी जा सकती है. ऐसे वारदातों की सुनवाई आईपीसी की धारा 376ए के तहत 60 दिनों में पूरी होने की बात कही गई है.
 
ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अब तेजाब की बिक्री वेब एप्लीकेशन के जरिए करने की व्यवस्था बनाई गई है. वेब एप्लीकेशन पर होलसेलर और रिटेलर के रजिस्ट्रेशन, डीएम द्वारा लाइसेंस जारी करने, आईडी दिखाने के बाद ही किसी व्यक्ति को तेजाब की बिक्री करने देने जैसी व्यवस्था है.
 
ये है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- पीड़ित को कम से कम 3 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश.
- मुआवजे के एक लाख की रकम 15 दिनों के अंदर देना होगा.
- बाकी के दो लाख रुपए दो महीने के अंदर ही देना होगा.
- राज्यों के मुख्य सचिवों को सीधे तौर पर इन आदेशों के पालन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया.
- 18 साल से कम उम्र के बच्चों को तेजाब नहीं बेचा जाएगा.
- तेजाब की खरीद-बिक्री के लिए विक्रेताओं को अलग से एक रजिस्टर रखना होगा.
- बिना पहचान पत्र, एड्रेस प्रूफ और वजह के एसिड नहीं दिया जाएगा.
- मेडिकल और शिक्षा के उद्देश्य से थोक में एसिड खरीदने से पहले एसडीएम से आदेश लेना होगा.
- एसडीएम एसिड के इस्तेमाल की निगरानी भी करेंगे.
- तेजाब को लेकर दिए गए निर्देशों का अगर पालन नहीं होगा, तो पचास हजार का जुर्माना ठोंका जाएगा.
- तेजाब को लेकर तमाम निर्देशों पर स्थानीय भाषा में विज्ञापन भी देने का आदेश है.
 
एसिड अटैक की कुछ घटनाएं
 
शादी के लिए मना किया तो फेंका तेजाब
एसिड अटैक से पीड़ित महिलाओं-लड़कियों के संघर्ष की पहचान बन चुकी दिल्ली की लक्ष्मी की कहानी भी बहुत रोचक है. सन 2005 में 15 साल की उम्र में एक अधेड़ शख्स ने उन्हें शादी के लिए प्रपोज किया. तब वह सातवीं क्लास में पढ़ रही थीं.
 
जीवन के दाव-पेंच से अंजान लक्ष्मी ने उसे मासूमियत से मना कर दिया. लेकिन उसे नहीं पता था कि ये ना उसकी जिंदगी में भारी पड़ने वाली है. उसी साल 22 अप्रैल को उस शख्स ने लक्ष्मी के उपर तेजाब फेंक दिया.
 
अचानक हुए इस हमले से अंजान लक्ष्मी कुछ समझ पातीं, उससे पहले ही उनका पूरा चेहरा जल चुका था. राहगीरों की मदद से उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया. यहां कई महीने ईलाज होने के बाद उनका जीवन बच सका, लेकिन चेहरा खराब हो चुका था.
 
जिंदगी की जंग लड़ रही लक्ष्मी का उमंग दम तोड़ चुका थे, लेकिन आलोक नाम के एक दीए ने उसे फिर जिंदा कर दिया. आलोक अपनी नौकरी छोडकर एसिड अटैक पीड़ितों के लिए एक संस्था चलाते हैं. दोनों मिलकर ऐसी महिलाओं-लड़कियों की मदद करते हैं.
 
दलित बहनों को तेजाब से झुलसाया
21 अक्तूबर, 2012 को बिहार में चार ऊंची जाति के युवकों ने दलित जाति की चंचल पासवान (19) और उसकी बहन (15) के ऊपर तेज़ाब फेंक कर बुरी तरह झुलसा दिया. चंचल 11वीं में पढ़ रही थी. वह कंप्यूटर इंजिनियर बनाना चाहती थी. ऊंची जाति के युवक उसे हमेशा परेशान किया करते थे. अपनी पढ़ाई जारी रखने और उन युवकों के दबाव में नहीं आने के कारण उसे यह सजा दी गई. उसके माता-पिता मजदूर हैं.
 
डॉ. अमृता कौर पर किया एसिड अटैक
 3 दिसंबर, 2014 की सुबह 9:30 बजे दिल्ली के राजौरी गार्डन में स्कूटी सवार महिला डॉक्टर पर बाइकसवार दो लड़कों ने एसिड फेंक दिया. तेजाब से झुलसी डॉक्टर राहगीरों से मदद की गुहार करती रही, लेकिन काफी देर बाद उसकी मदद के लिए लोग आगे आए. महिला को अस्पताल में भर्ती कराया. जानकारी के मुताबिक, बाइक सवार युवक डॉक्टर अमृता कौर से एकतरफा प्यार करता था. जब अमृता ने प्यार से इंकार कर दिया तो उसने पागलपन में उन पर तेजाब फेंक दिया. अमृता के चेहरे का दाहिना हिस्सा और सिर जल गया. पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था.
 
ब्यूटी पार्लर में फेंका तेजाब
7 दिसम्बर, 2013 को लुधियाना के पॉश इलाके सराभा नगर के एक ब्यूटी पॉर्लर में शादी के लिए तैयार होने आई हरप्रीत पर चार युवकों ने तेजाफ फेंक दिया था. हरप्रीत 50 फीसदी से अधिक झुलस गई. मुम्बई के एक प्राईवेट अस्पताल में 27 दिसंबर, 2013 को मौत हो गई.
 
मामा ने किडनैप कर तेजाब फेंका
1 फरवरी, 2014 को कानपुर एक लड़की को उसके चचेरे मामा ने किडनैप कर लिया. बाद में उसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया. इस हमले के बाद भी वह अपने मामा से लड़ी और वहां से भागने में सफल रही. उसकी बहादुरी के लिए 26 जनवरी को पीएम ने नेशनल ब्रेवरी अवॉर्ड से सम्मानित किया.
 
बेरंग हो गया जीवन
बंगलौर के एक कंपनी में बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर काम कर रही हसीना हुसैन को उसके बॉस ने प्रपोज किया. उसने इंकार कर दिया. जब वह जबरदस्ती करने लगा तो हसीना ने वह कंपनी ही छोड़ दी. वह नई कंपनी में काम करने लगीं. 20 अप्रैल 1999 को उसके उपर तेजाब फेंक दिया गया. हसीन का चेहरा, सिर बुरी तरह से जल गया. उन्हें आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया. लाखों रुपए खर्च करके करीब 18 सर्जरी कराई गई, तब जाकर हसीना का जीवन बचाया जा सका. पुलिस केस दर्ज तो हुआ, लेकिन पीड़िता को आजतक न्याय नहीं मिला है.

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