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घर से दूर एक बिहारी कैसे मनाता है छठ

बिहार में छठ का क्या महत्व है ये समझने के लिए बिहार जाने की जरूरत नहीं है. हर उस बिहारी की आंखों की उदासी से इसे जाना जा सकता है जिसकी छुट्टी कैंसिल हो गई हो, जो अपने शहर से दूर हो, बार-बार फोन कर घर पर छठ की तैयारियों का पता कर रहा हो. यह सब करने के दौरान अनिवार्य रूप से वह शारदा सिन्हा के छठ गीत सुन रहा होता है.

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शारदा सिन्हा (फाइल फोटो)
शारदा सिन्हा (फाइल फोटो)

बिहार में छठ का क्या महत्व है ये समझने के लिए बिहार जाने की जरूरत नहीं है. हर उस बिहारी की आंखों की उदासी से इसे जाना जा सकता है जिसकी छुट्टी कैंसिल हो गई हो, जो अपने शहर से दूर हो, बार-बार फोन कर घर पर छठ की तैयारियों का पता कर रहा हो. यह सब करने के दौरान अनिवार्य रूप से वह शारदा सिन्हा के छठ गीत सुन रहा होता है.

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छठ पर आप घर न जा पाएं तो शारदा सिन्हा आपके घर का पता हैं. उन्हें मैं और मेरी पीढ़ी के लोग अपने छुटपने से सुन रहे हैं. उनके गाए गीत छठ के 'राष्ट्रीय गीत' होते हैं. बिहार कोकिला, पद्मश्री शारदा सिन्हा को हमने बहुत बाद में जाना हमारे लिए तो छठी मइया के पास जाने का सबसे मजबूत माध्यम शारदा सिन्हा रही हैं. छठ बिहार में पर्व नहीं महापर्व है. इसमें जिस स्तर की समाजिकता, स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है वैसा किसी और त्योहार में नहीं होता.

'जातिवादी' बिहार का जातिनिरपेक्ष त्योहार..
बिहार पर जातिवादी होने का तोहमत लगाने वाले लोगों के लिए यह पर्व एक करारा जवाब है. पवित्रता का खास ख्याल रखे जाने वाले इस व्रत में महादलित समुदाय के हाथों के बने दउरे की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है. छठ का अर्घ्य इसी दउरे में दिया जाता है. छूआछत का सामना करते रहे इस समुदाय के हाथ के बनाए दउरे से लेकर सामाजिक भागीदारी का जैसा नजारा छठ में दिखता है किसी और त्योहार में नहीं दिखता.छठ की गरिमा को शारदा सिन्हा के गीतों ने अप्रितम ऊचाई पर पहुंचाया है.

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छठ की जितनी भी स्मृतियां हैं उनके बैकग्राउंड में शारदा सिन्हा के गीत हमेशा चल रहे होते हैं. छठ एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसमें उगते सूर्य के साथ डूबते सूर्य की भी पूजा की जाती है. छठ के दूसरे दिन जब हाड़ कंपा देने वाले नदी के ठंडे पानी में सभी उगते सूर्य का इंतजार होता था तब शारदा सिन्हा के गीत ही हौसला देते थे. उनका गीत बजता उग हो सुरज देव, तो लगता कि हमारी बात भले टाल दें लेकिन सूर्य इनकी बात कैसे टालेंगे.

छूट गया छठ तो शारदा सिन्हा हैं ना...
इस बार फिर जब छठ छूट चुका है, घर से मीलों दूर दफ्तर में ड्यूटी बजा रहा हूं और यूटयुब पर छठ के गीत सुन रहा ह. शारदा सिन्हा को सुनते हुए लगता है आप मां की गोद में हैं. सब सुंदर और सुरक्षित नजर आता है. मैथिली, मगही, भोजपूरी में गीत गाने वाली शारदा सिन्हा पर विकिपीडिया में चार वाक्यों का प्रोफाइल बना हुआ है. इसमें भी उनके गाए चुनिंदा बॉलीवुड गीतों का जिक्र है. लोक कलाकार का यह बॉलीवुड मार्का मूल्यांकन कोई अनाड़ी ही कर सकता है. बहरहाल अगर आपका भी छठ छूट चुका है तो इन गीतों के जरिए अपने हिस्से का छठ मनाइए.

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