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'पिलिन' के बाद 'हेलन' का नंबर, जानिए आखिर कैसे दिए जाते हैं तूफानों के नाम...

कैटरीना, सैंडी, पिलिन...कहीं से भी ऐसा लगता है कि ये दहशत के नाम हैं? लेकिन ये विनाशकारी तूफानों के नाम हैं. आप सोच रहे होंगे कि आखिर तूफानों का नामकरण होता कैसे है? जानिए कैसे दिए जाते हैं तूफानों के नाम...

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तूफान की आहट....
तूफान की आहट....

कैटरीना, सैंडी, पिलिन...कहीं से भी ऐसा लगता है कि ये दहशत के नाम हैं? लेकिन ये विनाशकारी तूफानों के नाम हैं. आप सोच रहे होंगे कि आखिर तूफानों का नामकरण होता कैसे है? जानिए कैसे दिए जाते हैं तूफानों के नाम...

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पिलिन:
'पिलिन' शब्द इस वक्त आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटवर्ती इलाकों में दहशत का नाम बन चुका है. लेकिन पिलन से भले ही आपके मन में भयंकर तूफान की तस्वीर उभरे, 'पिलिन' का असली मतलब आप समझेंगे, तो हैरान रह जाएंगे.

दरअसल 'पिलिन' थाई शब्द है, जिसका मतलब होता है 'सफायर' यानी 'नीलम' पत्थर. 'पिलिन' एशियाई देशों की ओर से 2004 में भेजे गए तूफानों के नाम की सूची के पहले सेट का आखिरी नाम है.

महासेन:
'पिलिन' से पहले जिस चक्रवाती तूफान ने भारत के तटों पर दस्तक दी थी, उसका नाम 'महासेन' था. यह तूफान मई, 2013 में आया था. 'महासेन' श्रीलंका के एक राजा का नाम था. इसी तूफान की वजह से बांग्लादेश में भूस्खलन आया था.

अब आएगा 'हेलन' का नंबर:
'पिलिन' के बाद अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने वाले अगले तूफान का नाम 'हेलन' होगा. यह नाम बांग्लादेश ने भेजा है.

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चेतावनी देने में होती है आसानी
चक्रवाती तूफान को नाम देने की परंपरा कई साल पहले शुरू हुई थी. नाम देने के पीछे मकसद यह था कि चेतावनी देने में आसानी होगी, क्योंकि संख्या या तकनीकी शब्दों की तुलना में कोई नाम याद रखना कहीं आसान होता है.

महिलाओं और पुरुषों के मिले-जुले नाम
शुरुआत में मनमर्जी से तूफानों को नाम दिया जाने लगा. 1953 से इसके लिए महिलाओं के नाम का इस्तेमाल होने लगा. 1979 में पुरुषों के नाम भी जोड़े गए. इसके लिए सभी देशों से नाम मंगाए गए.

रोटेशन के मुताबिक नाम
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने वाले तूफानों के लिए दिल्ली स्थित मौसम विभाग नाम देता है. नामों का प्रस्ताव भारत के साथ-साथ पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, ओमान और थाईलैंड से आता है.

तूफान के नामों के छह सेट तैयार किए गए हैं, जिन्हें रोटेशन के आधार पर अपनाया जाता है. यानी 2008 का सेट अब 2014 में इस्तेमाल होगा. यानी, 2008 में जो तूफान आया, उसका नाम अगले साल फिर दोहराया जाएगा.

ज्‍यादा तबाही मचाई, तो लिस्‍ट से आउट
इसमें भी एक नियम बनाया गया है. जिन तूफानों से भारी तबाही मची, मसलन 'कैटरीना', 'मिच' और 'ट्रेसी' जैसे नाम को लिस्ट से हटा दिया गया है, ताकि इन्हें दोहराया न जा सके, क्योंकि इनकी अलग पहचान बन चुकी है.

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